घंटो तड़पती रही गौमाता,नहीं दिखा कोई जिम्मेदार।
रायबरेली। ऊंचाहार उत्तरप्रदेश ही क्या पूरे देश में ही गौरक्षा के नाम पर पिछले कुछ समय से राजनीति होते देखी गयी है ।लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि क्या हकीकत में गौरक्षा होती है या महज राजनीतिक फायदे के लिए लोग गौरक्षा का सहारा लेते हैं।
वही पूरे देश में मॉब लिंचिंग की सैकड़ों घटनाएं भी सामने आई है जिसमें कथित गौरक्षकों द्वारा कितने लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
एक ऐसी ही तस्वीर जनपद के ऊंचाहार क्षेत्र से सामने आयी है,जिसको देखकर तो उन गौरक्षको पर सवाल खड़े होना लाजिमी है जो गौरक्षा के नाम आये दिन सियासी लाभ देखते हैं।दुर्घटनाग्रस्त गाय इस भीषण तपन में घायल अवस्था में घंटों सड़क के किनारे तड़पती रही, लेकिन न ही किसी गौरक्षक ने उसकी सुध ली और न ही प्रशासन ने ,आखिरकार गाय की स्थानीय लोगों द्वारा सेवा तो की गई लेकिन घायल गाय अपनी अंतिम सांस ले रही थी।
क्षेत्र के नेशनल हाईवे पर मनऊ के इंदारा के निकट ट्रक द्वारा गाय को टक्कर मार दी जाती है जिससे वो घायल अवस्था में घण्टों सड़क किनारे पड़ी रहती है, वही स्थानीय लोगों में राजू मौर्य, मनोज मौर्य द्वारा डायल 100 को सूचना देने पर पुलिस पहुँचती तो है लेकिन डॉक्टरों को भेजने का हवाला देकर वापस आ जाती है ।
अब ऐसे में गोरक्षा को सेवा भाव माना जाये या राजनीति?