धूमधाम से निकाली गई भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा।
परमात्मा को पाने का साधन है प्रेम -मिनिस्टर कटांबो
रिपोर्ट- जय प्रकाश तिवारी सुजानगंज जौनपुर
लुसाका/जांबिया
लुसाका में शनिवार को इस्कॉन जांबिया इंटरनेशनल सोसाइटी श्री कृष्णा कांशसनेस द्वारा भगवान जगन्नाथ जी की शोभा रथयात्रा निकाली गई। जिसमे भारतीय श्रद्धालुओं के अलावा विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हुए। कार्यक्रम में सर्व प्रथम भगवान जगन्नाथ का भक्ति भाव से स्वागत किया गया और उसके बाद प्रभु की आरती की गई। भक्त जनों ने प्रभु का गुणगान किया। भगवान को 56 भोग लगाया गया। उसके बाद लोगों ने कीर्तन किया। वहीं पर इस्कॉन के प्रभु जय गोविन्द दास शर्मा जी ने प्रवचन देते हुए कहा कि जो मंदिर नहीं जा पाते हैं उन पर कृपा करने के लिए भगवान जगन्नाथ मंदिर से निकलते हैं। मानो वह भक्तों से मिलने आते हैं। उनकी झलक प्राप्त करने वालों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। भगवान अपने भक्तों की पीड़ा हरने के लिए पृथ्वी पर आते हैं और कष्ट समाप्त करते हैं। वहीं पर कार्यक्रम का रथयात्रा हरे कृष्णा हरे रामा मन्दिर बेनाकले रोड से निकाली गई । जो मकिशी रोड से भ्रमण करते हुए मेन हाईवे टोटल पेट्रोल पम्प के पास से पुनः मन्दिर परिसर तक पहुंचकर संपन्न हुई। रथयात्रा भ्रमण के दौरान श्रद्धालुओं के जय श्री कृष्णा, जय जगन्नाथ के जयकारों से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। तत्पश्चात सभी राहगीरों को भगवान जगन्नाथ जी का व्याख्यान करते हुए प्रसाद भी वितरण किया गया। विगत 5 वर्षों से रथयात्रा निकाली जाती है। वही पर हम बदलेंगे युग बदलेगा हम सुधरेंगे युग सुधरेगा आदि का जयकारा भी लगते रहे और हरे रामा हरे कृष्णा की धुन को सुनकर सभी विदेशी नागरिक झूमने लगे और गाने लगे। रथयात्रा के सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए स्थानीय पुलिस, ट्रैफिक पुलिकर्मी एवं प्राइवेट कंपनी के सिक्योरटी गार्ड भी मौके पर डटे रहे। जिससे रथयात्रा के कार्यक्रम को बहुत ही सुन्दर तरीके से सफतापूर्वक पूर्ण किया गया। रथयात्रा भ्रमण के दौरान भारत के कोने कोने से आकर यहां पर अपनी पहचान बनाने वाले और भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले सभी भारतीय पुरुष एवं महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।रथयात्रा भ्रमण समापन के बाद महाप्रसाद का भव्य आयोजन किया गया था । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित लुसाका के वर्तमान मिनिस्टर श्री कटांबो जी ने कहा कि परमात्मा को पाना है तो प्रेम ही एक ऐसा मार्ग है जो परमात्मा से मिलन करा सकता है इन्हीं शब्दों के साथ उन्होंने हरे कृष्णा हरे रामा कहकर अपनी वाणी को विराम देते हुए कहा कि संस्कृत है भारतीय संस्कृति की पहचान। व्यवस्थापक विपुल जालान, अजय तिवारी, हितेश पटेल, निचिकेत लिंबचिया, पीयूष दूत, श्रीकांत शर्मा, जय प्रकाश तिवारी, कुंजबिहारी दवे, राजेश्वरी शर्मा,राम बाबू, विकाश शर्मा, शुभी शर्मा, विश्वाव दीपक, दिवाकर चौधरी, मोहन नंदिमुथू, जी आदि उपस्थित रहे।