वॉशिंगटन. डोनाल्ड ट्रम्प ने एशिया के साथ हुई ट्रेड डील ट्रांस पैसिफिक पार्टनशिप (टीपीपी) से अमेरिका को हटा लिया है। उन्होंने इसके लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत कर दिए हैं। ट्रम्प के प्रेसिडेंट बनने के बाद बराक ओबामा की फॉरेन पॉलिसी को यह उनका पहला झटका है। इलेक्शन कैम्पेन में किया वादा पूरा किया…
– उनकी दलील थी कि यह अमेरिकी इम्प्लॉइज और मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए नुकसानदेह सौदा है।
– इस बिजनेस एग्रीमेंट को आेबामा एडमिनिस्ट्रेशन की एशिया पॉलिसी का सबसे मजबूत हिस्सा माना जाता था।
– अपने फैसले पर ट्रम्प ने कहा, “हम बहुत दिनों से इस बारे में बात कर रहे थे। यह अमेरिकन वर्कर्स के लिए बहुत अच्छा वक्त है।”
– उधर, टॉप रिपब्लिकन सीनेटर जॉन मैकेन ने ट्रंप के इस फैसले को गलत बताया है।
– 5 अक्टूबर 2015 को हुए इस एग्रीमेंट में यह तय हुआ था कि टीपीपी में शामिल देशों को बिजनेस टैक्स में रियायत दी जाएगी।
– इस एग्रीमेंट में अब अमेरिका को छोड़कर 11 देश बचे हैं। इनमें जापान, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, ब्रूनेई, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, मैक्सिको, चिली और पेरू शामिल हैं।
– इसका मकसद इन देशों के बीच इकोनॉमिक रिलेशंस को और बेहतर बनाना और डेवलपमेंट को रफ्तार देना है।
– 2005 में इसकी शुरुआत 4 देशों- ब्रुनेई, चिली, न्यूजीलैंड और सिंगापुर के बीच ट्रेड एग्रीमेंट से हुई थी।
– आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने उम्मीद जताई है कि टीपीपी में चीन और दूसरे एशियाई देशों को शामिल करके इसे बचाया जा सकता है।
– आॅस्ट्रेलिया के पीएम मैलकॉम टर्नबुल ने कहा कि उन्होंने जापान के पीएम शिंजो आबे, न्यूजीलैंड के पीएम बिल इंगलिश और सिंगापुर के पीएम ली हेसिन लूंग के साथ इस मसले पर बातचीत की है।
– टर्नबुल ने कैनबरा में मीडिया से कहा, “बेशक टीपीपी से अमेरिका का बाहर होना एक बड़ा नुकसान है। लेकिन हमें भरोसा है कि टीपीपी बचा रहेगा। टीपीपी में चीन के शामिल होने के आसार हैं।”