फूलबेहड मे वन रक्षक की मिलीभगत से बिना परमिट धडल्ले से काटे जा रहे आम के हरे भरे पेड़।

फूलबेहड मे वन रक्षक की मिलीभगत से बिना परमिट धडल्ले से काटे जा रहे आम के हरे भरे पेड़।

ब्यूरो चीफ अरुण सिंह लखीमपुर खीरी

लखीमपुर खीरी। खीरी जनपद के दक्षिण खीरी वन प्रभाग मे शातिर लकडकट्टे बिना परमिट आम के हरे भरे पेडों का धडल्ले से सफाया कर रहे हैं। अवैध कटान की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग के अफसर लकडकट्टों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर रहे हैं। जिससे साफ पता चलता है कि इस अवैध कटान मे वन विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों से लेकर जिले के आला अधिकारी भी शामिल है।
दक्षिण खीरी वन प्रभाग की शारदानगर रेंज तो अवैध कटान मे अव्वल नंबर पर पहुंच गई है। शारदानगर रेंज की फूलबेहड वन चौकी क्षेत्र तो लकडकट्टों की पहली पसंद बन गई है। फूलबेहड क्षेत्र मे तैनात वन रक्षक योगेन्द्र सिंह व लकडकट्टों मे चोली दामन का साथ है। वन रक्षक योगेन्द्र सिंह की मेहरबानियों के चलते लकडकट्टे सरेआम बिना परमिट शीशम, सागौन, नीम व आम के हरे भरे पेडों को धडल्ले से काट रहे है।
बीते एक हफ्ते मे ही फूलबेहड क्षेत्र के मुराऊनपुरवा, श्यामदासपुरवा समेत कई गांवो मे आम की सात बागो को लकडकटटों ने साफ कर दिया। लकडकट्टे अवैध रूप से काटे गए पेडों की जडों को भी खोद कर बागों का नामोनिशान मिटा रहे हैं। अगर किसी बाग के कटान की बाबत वन रक्षक योगेन्द्र सिंह से मालूमात की जाती है तो वह बाग का परमिट बता कर अपना पल्ला झाड लेते है या फिर अनभिज्ञता जाहिर करने लगते है। उसके बाद वह लकडकट्टों तथा लकडी के आढती से पत्रकारो के नाम से भी मोटी रकम वसूल कर लेते है। फूलबेहड इलाके के ही एक लकडकट्टे ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि वन रक्षक योगेन्द्र सिंह आम के एक ट्राले के बारह से पंद्रह हजार रुपये , जबकि शीशम व सेमल के ट्राले के आठ से नौ हजार रुपये लेकर माल के मंडी पहुंचने तक की पूरी जिम्मेदारी लेता है। अगर कोई शिकायत भी कर देता है तो योगेन्द्र सिंह सब मैनेज कर लेता है।
कई लकडी ठेकेदारों का तो यह भी कहना है कि वन रक्षक योगेन्द्र सिंह अपने फारेस्टर व रेंजर के नाम पर भी लकडी ठेकेदार से मोटी रकम वसूल लेता है।
फिलहाल फूलबेहड के वन रक्षक योगेन्द्र सिंह की मेहरबानियों के चलते लकडकट्टे सरेआम प्रतिबंधित पेडों पर बेरहमी से आरा चला रहे है। फूलबेहड क्षेत्र के लोगो का आरोप है कि वन रक्षक योगेन्द्र सिंह के काले कारनामों की शिकायत वन विभाग के अफसरों से की गई लेकिन जिले के आला अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहे है, जिसके चलते वन रक्षक योगेन्द्र सिंह के हौसले और बुलंद होते जा रहे है। फिलहाल अब देखना यह है कि डीएफओ दक्षिण खीरी अपने भ्रष्ट कर्मचारी की कार्यशैली पर क्या कार्रवाई करते है ?

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