दिलीप कुमार ने फैन्स को कहा शुक्रिया, लिखा- आपके प्यार और दुआओं ने हमेशा मुझे भावुक किया है

बॉलीवुड . दिलीप कुमार 11 दिसंबर को अपना 97वां जन्मदिन मना रहे हैं। जन्मदिन पर मिल रही शुभकामनाओं और फैन्स के प्यार का शुक्रिया अदा करने उन्होंने ट्विटर पर नई तस्वीर शेयर की है। जिसमें उनके चेहरे पर सुकून नजर आ रहा है और वे पहले से ज्यादा सेहतमंद दिख रहे हैं।

आपके प्यार का शुक्रिया : दिलीप साहब के ट्विटर पर लिखा है- “97 वें जन्मदिन पर, कल रात से कॉल और मैसेज आ रहे हैं। इसके लिए धन्यवाद। उत्सव महत्वपूर्ण नहीं हैं, आपके असीम प्रेम, स्नेह और दुआओं को देखकर हमेशा मेरी आंखें कृतज्ञता के आंसुओं से नम हो जाती हैं।

लता जी की वापसी पर किया ट्वीट : इसके पहले दिलीप कुमार ने लता जी और पत्नी सायरा बानो के साथ फोटो शेयर की थी। उन्होंने लिखा था कि ‘मेरी छोटी बहन लता की तबियत ठीक होने की खुबर सुनकर खुशी हुई। अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और अच्छा महसूस कर रही हैं।’ उन्होंने तबियत का ख्याल रखने की सलाह देते हुए कहा कि अब अपना अच्छे से ध्यान रखें।

ईश्वर ने दिलीप साहब का ऑरा ऐसा दिया है, ऐसी शख्सियत बनाई है कि उनका हर बर्थडे बड़ा स्पेशल लगता है। बर्थडे ही क्यों कहें, मुझे तो उनके साथ हर दिन ही बड़ा इंट्रेस्टिंग लगता है। उनके साथ जो रहता है, वह कभी बोर नहीं हो सकता। साहब की जिंदगी से उनके फैन्स का जुड़ाव शुरू से ही है। उनके प्रति लोगों की दीवानगी के कई किस्से मुझे याद आते हैं। हमारी शादी हो रही थी तब पूरा ऊधम मचा हुआ था। कोलकाता में जहां हम शूटिंग के लिए गए थे, वहां से भीड़ की वजह से पैकअप कर घर भागकर आना पड़ा था। जब 2 अक्टूबर 1966 को हमारी मंगनी अनाउंस हुई थी, तब जिस गाड़ी में हम बैठे थे, फैंस ने उसे पूरा हाथों से ही ऊपर उठा लिया था। फिर पुलिस ने हमको जैसे तैसे गाड़ी से निकालकर, किचन के रास्ते ऊपर होटल तक पहुंचाया था।

फैंस ही क्या उनके चाहने वाले तो फिल्म इंडस्ट्री में भी बहुत हैं। उनके 89वें जन्मदिन पर पूरी इंडस्ट्री एक छत के ही नीचे आ गई थी। अमिताभ से लेकर धर्मेंद्र, शाहरुख से लेकर आमिर, सलमान, राजेश खन्ना, प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, रानी मुखर्जी से लेकर इंडस्ट्री के तमाम बड़े नाम जुट गए थे। उससे पहले उनकी 88वीं सालगिरह भी बड़ी कमाल की थी। 90वां जन्मदिन भी बड़ा अच्छा गुजरा था। तब हमने गार्डन पार्टी की थी। वे सारे बर्थडे, जिनमें उनकी सेहत अच्छी रही, जिनमें वे खुद एंजॉय कर सके, वे सारे सेलिब्रेशन बड़े अच्छे रहे हैं। विदेशों में तो दिलीप साहब के ऐसे फैन्स हैं कि तब के जमाने से लेकर आज की तारीख तक केक, कार्ड्स, प्यारे-प्यारे मोहब्बत भरे खत भेजते रहते हैं। ये सब मैंने आज तक संभाल कर रखे हैं।

जब कभी वे बाहर शूट करते रहे, तब तब उनका बर्थडे वहीं सेट पर मनता रहा। राम और श्याम के टाइम पर हम पन्हाला हिल स्टेशन कोल्हापुर में शूट कर रहे थे। हम सब जिस बंगले में ठहरे थे, वहां खूबसूरत सा केक काटा गया। वहां मुमताज, प्राण साहब भी थे। डायरेक्टर और पूरी टीम भी थी। इस तरह कई बर्थडेज हमने सेट पर ही मनाए हैं। माशाअल्लाह, बहुत से मौके पर देशों के हैड्स तक ने उनके बर्थडे सेलिब्रेशन में शिरकत की। ईश्वर ने दिलीप साहब को इतना नवाजा है कि संदेश अपनी कंट्री से तो आते ही हैं, मॉरिशस, फ्रांस वगैरह से भी आते रहे हैं। हमारी और उनकी कभी कोई नोंकझोंक होती ही नहीं है। शुरू में जब हम बहुत जवान थे तब होती थी। वह भी इतनी पुरानी बात हो चुकी है कि याद ही नहीं।

मैंने उनसे एक अजीम बात सीखी है कि पीठ पीछे किसी की बुराई न करो। मैं अक्सर उनको उकसाने के लिए किसी का भी जिक्र कर उनसे कहा करती कि फलां तो आप के बारे में भला बुरा कह रहे थे। पर मेरी हसरत बाकी रह गई कि पलटकर उन्होंने कभी हां में हां मिलाई हो। वे हमेशा यही कहते रहे, ‘देखो तुम नुख्स तो निकाल रही हो, पर यह नहीं देख रही कि फलां आदमी बाकी काम तो अच्छा करता है।’ उस पर मैं जवाब देती, ‘दिलीप साहब आप तो मुझे चिढ़ा रहे हो।’ लब्बोलुआब यह कि उन्होंने न तो किसी के बारे में कुछ बुरा कहा और न कुछ बुरा सोचते हैं। बुराई में शामिल भी नहीं होते। वो हमेशा कहते रहे हैं कि इंसान को ईश्वर से डरना चाहिए। यह मैंने उनसे सीखा है।

उन्हें शुरू से ही मैटेरियलिस्टिक चीजों से कोई लगाव नहीं है। शादी के शुरुआती दिनों में भी जब भी मैंने उन्हें कार्ड और खास तोहफे देने की कोशिश की, उसका अंजाम कुछ दिनों में पता चल जाता था। गले में चेन पहनाई तो मालूम पड़ा कि कुछ दिनों बाद उसे किसी और को दे आए। मेरी तमाम कोशिशों के बावजूद तोहफे थोड़े दिन के बाद किसी और को दे दिया करते थे। उनकी इन आदतों पर मैं बड़ा हर्ट फील किया करती थी, लेकिन उन्होंने मुझे समझाया कि देखो मैटेरियलिस्टिक चीजों से लगाव नहीं होना चाहिए। वह मुझसे हमेशा से ही यह कहा करते हैं- ‘सायरा मुझे लगाव है तो तुम्हारी केयर टेकिंग से। तुम्हारी मोहब्बत से। एक काइंड जेस्चर, बेहतर अल्फाज मेरे लिए किसी तोहफे से ज्यादा मायने रखता है।’ खुद के लिए उन्होंने कभी तोहफे नहीं चाहे, पर मेरी सालगिरहों पर फूल और सुंदर कार्ड्स लाते रहे हैं। कभी साड़ी, सलवार कमीज से लेकर मेरी जरूरत की चीजें दुकान जाकर लाते रहे हैं।

कैसे हैं अभी युसुफ साहब?
उनका रुटीन आज भी वैसा ही जैसा हमेशा रहा है। रात को वे कभी भी लगकर पूरी नींद नहीं ले पाते थे। आज भी वही हाल है। सुबह जरा जागकर फ्रेशेन अप होकर फिर से सो जाया करते हैं।

कैसा रहेगा 11 दिसंबर को जन्मदिन का जश्न?

दिलीप साहब की तबीयत नासाज है। उनको पहले निमोनिया भी हो चुका है। लिहाजा डॉक्टर्स ने मना किया है कि आप पार्टी मत कीजिए। वह इसलिए कि बहुत लोगों का आना हो जाता है। फैंस, नजदीकी दोस्त, नाते-रिश्तेदार आ जाते हैं। तो दिलीप साहब को कहा गया है कि ज्यादा एक्सपोजर न करें। नतीजतन इस बार सिर्फ क्लोज फैमिली और महज चार से पांच क्लोज फ्रेंड्स ही इकट्‌ठा हो रहे हैं। ऐसा समझिए कि इस बार मात्र 20 से 25 मेहमानों के साथ ही दिलीप साहब के जन्मदिन मनने वाला है। दिलीप साहब को बिल्कुल स्ट्रेन नहीं करेंगे। हम लोग छत पर अलग बैठेंगे। एक गेट टुगैदर और फैमिली डिनर साथ में करेंगे।

युसुफ साहब को क्या पसंद है?

चेन वगैरह पहनते ही नहीं है। पहनते तो हैं बस एक घड़ी। अच्छे कपड़ों का शौक है। व्हाइट कपड़े और उसी रंग की चप्पलें पहना करते हैं।

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