हीरा खदान के लिए बिड़ला और अडानी आमने-सामने, 24 घंटे में बोली 55 से 80 हजार करोड़ रु पहुंची

भोपाल. छतरपुर जिले में देश की सबसे बड़ी हीरा खदान पाने के लिए अडानी और बिड़ला समूह अड़े हुए हैं। बक्सवाह की इस बंदर हीरा खदान के लिए ऑनलाइन बिड मंगलवार सुबह जारी हुई। सरकार ने इस खदान की ऑफसेट प्राइज 55 हजार करोड़ रुपए तय की थी, लेकिन प्रतिस्पर्धा में नामी-गिरामी कंपनियों के आने से ऑफसेट प्राइज की अधिकतम दर 11.5 प्रतिशत ज्यादा आई थी।

इसके बाद अंतिम बिडिंग के लिए 24 घंटे का समय तय किया गया था, जिसमें अडानी और बिड़ला के बीच हीरे की खदान को लेकर प्रतिस्पर्धा जारी है। मंगलवार शाम को यह ऑफसेट प्राइज से 22.50 प्रतिशत ज्यादा पहुंच गई जो अभी भी जारी है। इससे हीरा खदान की बोली 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई। इससे सरकार को खासा राजस्व मिलने की उम्मीद है।
कंपनियों के लिए यह मानदंड थे तय
देश की सबसे बड़ी खदान के लिए नीलामी में भाग लेने के लिए भारत सरकार के नियमानुसार लगभग 56 करोड़ रुपए की सुरक्षा निधि जमा कराई जानी थी। इसके लिए आवेदन कंपनी की नेटवर्थ कम से कम 1100 करोड़ रुपए होना आवश्यक था। उल्लेखनीय है 55 हजार करोड़ की यह खदान रियो टिंटो कंपनी ने छोड़ी थी।छतरपुर की अब तक अनुपयोगी पड़ी बंदर खदान के लिए अभी बिडिंग की प्रक्रिया जारी है।
1000 करोड़ मूल्य के हीरा खनन पर 3.50 करोड़ रु राॅयल्टी

हीरा खदान की बिडिंग में अव्वल आने वाली कंपनी को 11.50 प्रतिशत से अधिक जो भी अंतिम बोली होगी, उस पर रायल्टी जमा करना पड़ेगा। यानी यदि कंपनी 1 हजार करोड़ रुपए के हीरों का खनन करती है तो उसे 3.50 करोड़ रुपए रायल्टी के देना होंगे।

पांच कंपनियों ने लगाई थी बोली, दो बचीं
छतरपुर की बंदर हीरा खदान के लिए 5 बड़ी कंपनियों ने 13 नवंबर को खुली प्रथम चरण की निविदा में बिड जमा कर दावा प्रस्तुत किया था। इनमें भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी, एस्सेल माइनिंग (बिड़ला समूह),रूंगटा माइन्स लि., चेंदीपदा कालरी (अडानी ग्रुप) तथा वेदांता कंपनी शामिल थी। मंगलवार शाम को जारी बिड में अडानी और बिड़ला समूह ही बचे हैं। उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले में लगभग 3.50 करोड़ कैरेट हीरे का भंडार अनुमानित है, जिसका मूल्य 55 हजार करोड़ रुपए है।

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