रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन ने 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। मुख्यमंत्री का पद झामुमो के हेमंत सोरेन संभालेंगे। राज्य बनने के बाद 19 साल में सोरेन परिवार ने पांचवीं बार सत्ता हासिल की। हेमंत दूसरी बार सीएम का पद संभालेंगे। शिबू सोरेन 3 बार राज्य के सीएम रह चुके हैं। उनके बेटे हेमंत दुमका और बरहेट दोनों सीटों पर चुनाव जीते। उधर, 24 साल से जमशेदपुर पूर्व सीट जीत रहे रघुवर दास अपने ही पुराने सहयोगी सरयू राय से हार गए। झारखंड में हार के साथ ही भाजपा के हाथ से एक और राज्य निकल गया।
रघुवर के अलावा उनके 4 मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ चुनाव और विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव चुनाव हार गए। भाजपा के रघुवर और लक्ष्मण को हार देखनी पड़ी। वहीं, झामुमो की सीता मुर्मु ने जामा विधानसभा सीट से जीत हासिल की। वे हेमंत सोरेन की भाभी हैं।
2019 में किसको फायदा, किसे घाटा
पार्टी | 2014 के नतीजे | 2019 के नतीजे | फायदा/घाटा |
भाजपा | 37 | 25 | – 12 |
झामुमो | 19 | 30 | + 11 |
कांग्रेस | 06 | 16 | + 10 |
झाविमो | 08 | 03 | – 05 |
अन्य | 11 | 07 | – 03 |
सबसे चौंकाने वाला परिणाम
राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर पूर्व सीट 24 साल से जीतते आ रहे हैं। लेकिन, यहां उन्हें उनके ही पूर्व सहयोगी सरयू राय ने 15 हजार से ज्यादा वोटों से मात दे दी। वह भी तब, जब रघुवर दास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने चुनावी रैली की थीं। सरयू भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज थे और निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्होंने जीत के बाद कहा कि अब मेरे मुस्कुराने का वक्त है।
4 कैबिनेट मंत्री भी हार गए
मुख्यमंत्री रघुवर समेत उनकी कैबिनेट के 4 मंत्री चुनाव हार गए। इनमें लुइस मरांडी, राज पालीवार, आजसू के रामचंद्र सहिस हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ और विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस के खाते में सबसे बड़ी और सबसे छोटी दोनों जीत
- सिमडेगा से कांग्रेस के भूषण बारा की जीत का अंतर सबसे कम रहा, उन्होंने भाजपा के श्रद्धानंद बेसरा को 285 वोटों से हराया।
- सबसे बड़ी जीत कांग्रेस के आलमगीर आलम के खाते में गई। पाकुड़ से लड़े आलम ने भाजपा के वेनी गुप्ता को 65,108 वोटों से हराया।
नई विधानसभा में चार पीएचडी, दो विधायक सिर्फ 8वीं पास
- गोमिया सीट से जीते आजसू के लम्बोदर मेहतो ने पीएचडी और एमबीए किया। वे पहले शिक्षक थे। कोरडमा सीट से जीतीं डॉ. नीरा यादव रघुबर सरकार में शिक्षा मंत्री थीं। नीरा ने पीएचडी किया है। लोहरदगा से कांग्रेस नेता डॉ. रामेश्वर उरांव पीएचडी हैं। आईपीएस ऑफिसर थे। पांकी से जीते भाजपा के शशि भूषण मेहता पीएचडी हैं।
- इच्छागढ़ से जीतीं झामुमो की सबिता मेहतो और जगन्नाथपुर से जीते सोनाराम सिंकू केवल 8वीं पास हैं।
झामुमो विधायक कालिंदी सबसे गरीब
- लोहरदगा सीट से कांग्रेस विधायक डॉ. रामेश्वर उरांव सबसे अमीर विधायक हैं। उनकी संपत्ति 28.01 करोड़ है।
- जुगसलाई सीट से झामुमो विधायक मंगल कालिंदी जीते। उनकी संपत्ति जीत हासिल करने वाले विधायकों में सबसे कम है। उन्होंने हलफनामे में अपनी संपत्ति 30,000 दिखाई है।
भाजपा के आलोक सबसे युवा विधायक
- बेरमो से जीत हासिल करने वाले भाजपा के 64 वर्षीय योगेश्वर महतो चुनाव जीतने वाले सबसे बुजुर्ग विधायक हैं। वे 10वीं पास हैं।
- भाजपा के ही आलोक चौरसिया सबसे युवा हैं। उनकी उम्र 29 साल है। आलोक डाल्टनगंज से चुनाव जीते हैं और 12वीं तक पढ़े हैं।
भाजपा के सबसे ज्यादा दागी विधायक
कितने विधायकों पर आपराधिक रिकॉर्ड | 43 |
भाजपा | 12 |
कांग्रेस | 08 |
झामुमो | 17 |
झाविमो | 03 |
राजद | 01 |
अन्य/निर्दलीय | 02 |
जीत शिबू सोरेन के समर्पण का परिणाम- हेमंत सोरेन
जीत के बाद हेमंत सोरेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, “यह जीत शिबू सोरेन के परिश्रम और समर्पण का परिणाम है। हम जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और आज का दिन यही संकल्प लेने का दिन है। जिस भरोसे से जनता ने हमें वोट दिए हैं, उसे हम टूटने नहीं देंगे।”
हेमंत सोरेन ने दैनिक भास्कर से कहा- जनता को लाइन में लगाने की आदत से भाजपा ने सत्ता खोई
महागठबंधन के मुख्यमंत्री कैंडिडेट और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि भाजपा किसी न किसी बहाने लोगों को लाइन में लगाती रही है, फिर चाहे वह नोटबंदी हो या एनआरसी और सीएए। जनता को लाइन में लगाने की आदत ने भाजपा को सत्ता से बाहर किया।
भाजपा का वोट शेयर बढ़ा, सीटें घटीं
2014 के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर इस बार एक फीसदी बढ़ा है। इस बार भाजपा को 33.37% वोट मिले, लेकिन उसकी 12 सीटें घट गईं। झामुमो का वोट शेयर 2% घटा, लेकिन उसकी 11 सीटें बढ़ गईं। कांग्रेस का वोट शेयर 4% और सीटें 6 से बढ़कर 16 हो गईं।
2 साल में भाजपा ने 7 राज्य गंवाए
- दिसंबर 2017 में 72% आबादी और 75% भूभाग वाले 19 राज्यों में एनडीए की सरकार थी। झारखंड में सत्ता गंवाने के बाद अब एनडीए के पास 16 राज्यों में ही सरकार बची है। इन राज्यों में 42% आबादी रहती है।
- एक साल बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी। यहां अब कांग्रेस की सरकारें हैं।
- आंध्र प्रदेश में भाजपा-तेदेपा गठबंधन की सरकार थी। मार्च 2018 में तेदेपा ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई।
- महाराष्ट्र में चुनाव के बाद शिवसेना ने एनडीए का साथ छोड़ा और हाल ही में कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बना ली।
- जम्मू-कश्मीर में जून 2018 में भाजपा ने पीडीपी से नाता तोड़ा था। यहां पहले राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। अब यह दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित हो चुका है। इनमें से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होना बाकी है। लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है।
- अब भाजपा झारखंड में हारी। यहां कांग्रेस-झामुमो-राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को जीत मिली है।