सत्य अहिंसा प्रेम और बंधुत्व था बापू का नारा

न्यूज वाणी ब्यूरो
बिंदकी/फतेहपुर। नगर के गांधी चैराहा स्थित सुनीलपुरी के आवास पर शीतकालीन कवि गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें काव्य पाठ के अलावा नवरचित काव्य कृति गोस्वामी दर्पण का विमोचन भी किया गया।
कवि भईया जी अवस्थी करुणाकर ने गत दिनों देश के बिगड़े हालातों पर चर्चा करते हुए कहा कि सत्य अहिंसा प्रेम और बंधुत्व था बापू का नारा, राकेश सोनी ने अपनी रचना में पढ़ा ‘‘चलना गति पर चलता कौन देख रहा हूं लिखता मौन’’। प्रेमसागर तिवारी ‘‘जनक’’ ने सरस्वती वंदना के साथ ही कहा देवी मीरा दया की दीवानी बनी। राज कुमार नलिन ने गीत सुना समा बांधी। उन्होंने पढ़ा ‘‘आगत को कैसे स्वीकार करूं सोच रहा हूं।’’ कवि मेवालाल गुप्ता ने सुनाया ‘‘कहते मेवा प्राप्त सभी कुछ होता उसको, ईश्वर पर विश्वास सुदृढ़ होता है जिनका’’। उन्होंने आज संकट में हैं देश की बेटियां सुनाकर वाहवाही लूटी। वरिष्ठ व्यंगकार वेद प्रकाश मिश्र ने कटाक्ष किया ‘‘साल बीतने वाला नए फैसले नए कायदे सुविधा दुविधा वाले’’। आयोजक सुनील पूरी ने व्यंग पढ़ा ‘‘आज का मानव बना पशु क्यों ज्ञानी होकर बना विवश क्यों’’। गौरव सिंह अबोध ने कहा ‘‘कहीं जीभ चमड़ी गेह के पैमाने नए नए’’। अरुण द्विवेदी अनु ने नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा ‘‘राही तेरे जीवनपथ में किंचित न हो शूल,’’ योगीराज राजाराम यादव ने कहा कि ‘‘हम लहरें लहर लहर लहराती’’। इसी क्रम में उमाशंकर गुप्त ने पढ़ा शुद्ध देशी अंदाज में रचना पढ़ी। शिव गोस्वामी ने कहा ‘‘हमारे देश का गौरव हमें सम्मान देता है’’। इस अवसर पर सुनील पुरी गोस्वामी द्वारा प्रकाशित गोस्वामी दर्पण पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

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