जासूसी रोकने के लिए कर्मचारियों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध; नेवी बेस, डॉकयार्ड और शिप पर स्मार्टफोन बैन

नई दिल्ली. नौसेना ने ऑनलाइन जासूसी से बचने के लिए कर्मचारियों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद करने के आदेश दिए हैं। नौसेना के मुताबिक, पिछले दिनों 7 कर्मचारियों को सोशल मीडिया के जरिए संवेदनशील जानकारी दुश्मन देश को लीक करते पकड़ा गया था। इसके चलते ही यह कड़े कदम उठाए गए हैं। अफसरों ने नेवी बेस, डॉकयार्ड और युद्धपोतों पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल को भी बैन कर दिया।

आदेश के मुताबिक, अब नौसैनिक मैसेजिंग ऐप के साथ नेटवर्किंग और ब्लॉगिंग ऐप, कंटेंट शेयरिंग, होस्टिंग और ई-कॉमर्स वेबसाइट भी नहीं खोल पाएंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बैन का मकसद आने वाले समय में नौसैनिकों को सोशल मीडिया पर हनी ट्रैप जैसे खतरों से बचाने के लिए हैं।

खुफिया एजेंसियों ने 20 दिसंबर को नौसेना के 7 कर्मचारियों को जानकारी लीक करते पकड़ा था।

खुफिया एजेंसियों ने आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किए थे नौसेना के 7 जवान
आंध्रप्रदेश पुलिस ने 20 दिसंबर को नौसेना के 7 जवानों को गिरफ्तार किया था। इन सभी पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप है।केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और नौसेना खुफिया विभाग ने इन्हें पकड़ने के लिए संयुक्त तौर पर ‘डॉल्फिन्स नोज’ नामक अभियान चलाया था। इसके जरिए जासूसी रैकेट का पता लगा। जांच एजेंसियों ने इस मामले में हवाला ऑपरेटर को भी हिरासत में लिया। विजयवाड़ा स्थित एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को 3 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इस मामले में अभी कुछ अन्य संदिग्धों लोगों से पूछताछ जारी है।

सोशल नेटवर्किंग साइट से हैंडलर के संपर्क में आए थे आरोपी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी आरोपी 2017 में नौसेना में शामिल हुए थे। सितंबर 2018 में सोशल नेटवर्किंग साइट से तीन-चार महिलाओं के संपर्क में आए। महिलाओं ने बाद में उनका परिचय पाकिस्तानी हैंडलर से व्यापारी के तौर पर करवाया, जिसने उनसे नौसेना की गोपनीय सूचना लेनी शुरू कर दी।

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