लखनऊ। राजधानी लखनऊ में जलकल विभाग के आलाधिकारियों एवं कर्मचारियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खौफ नहीं है। महाप्रबंधक लगातार अपने विभाग की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। जलकल विभाग के महाप्रबंधक एसके वर्मा, सचिव ओपी सिंह व जल कल जोन-7 के अकाउंटेंट मृत्युंजय, अधिशासी अभियंता एसए द्विवेदी के साथ मिलकर विधवा महिला पेंशनर का शोषण कर रहे हैं। जल कल विभाग जोन-7 द्वारा 26 दिसंबर तक सभी पेंशनरों को पेंशन भेज दी गयी है लेकिन विधवा महिला पेंशनर प्रमिला को अभी तक नही मिली है। पिछले दिसम्बर महीने की पेंशन जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सरकारी व गैर सरकारी विभागों को यह शासनादेश भी जारी किया था कि प्रेत्यक माह की 20 तारीख तक सभी पेंशनरो के खाते में पेंशन भेज दी जाए। श्रीमती प्रमिला ने 28 दिसंबर 2019 को अपने खाते में पेंशन धनराशि चेक की तो यह पता चला कि अभी तक पेंशन की धनराशि खाते में नही पहुँची है। प्रमिला पेंशनर तत्काल जलकल जोन 7 के अधिशासी अभियंता कार्यालय के एक्सईएन एसए द्विवेदी से मिलने गयी लेकिन वह नही मिले। तभी जलकल विभाग जोन-7 के कर्मचारियों से अपनी पेंशन के बारे में पूछा तो वहां के बाबू राकेश ने बताया कि आपको जीवित प्रमाण पत्र देना होगा। तभी पेंशन मिलेगी। कुछ देर बाद पुनः कार्यालय के बाबू राकेश आये और प्रमिला पेंशनर से बोले कि अभी अकाउंटेंट मृत्युंजय का फोन आया है और वो बोले कि प्रमिला जी से बोल दीजिये कि उनकी पेंशन 30 दिसम्बर को उनके खाते में लगा दी जायेगी लेकिन ऐसा नही हुआ। 30 दिसंबर को विधवा महिला पेंशनर श्रीमती प्रमिला द्वारा सभी कागज जलकल विभाग जोन-7 में उपलब्ध कराने के बावजूद भी पेंशन नही मिली। वही महिला पेंशनर का यह भी कहना है पिछले 5 महीनों से मुझे इसी तरह से परेशान करके मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है और यह सब महाप्रबंधक एसके वर्मा, सचिव ओपी सिंह और अधिशासी अभियंता जोन 7 एसए द्विवेदी के कहने पर हो रहा है।
महाप्रबंधक ने पेंशनर के पुत्र से की अभद्रता
महिला पेंशनर के पुत्र ने जब 2 जनवरी को तकरीबन 12 बजे फोन करके जलकल विभाग के महाप्रबंधक एसके वर्मा से बात की और पूरा वाक्य बताया और कोर्ट में विभाग के खिलाफ एप्लिकेशन देने की बात कही तो महाप्रबंधक एसके वर्मा भड़क गए और तीखे व तीव्र भाषा शैली में बोले कि तुमको जो करना हो करो हम देख लेंगे। भला जब जल कल विभाग के बड़े आलाधिकारी ही इस तरह से बात करेंगे और अपने ही दोषी अधिकारियों को बचाने में लगेंगे तो राजधानी लखनऊ के क्या हाल होगा। यह सब लोग जान सकते है।
कभी नहीं लिया जीवित प्रमाण पत्र
महिला पेंशनर में बताया कि उनके पति की मृत्यु 25 अगस्त 2011 को हुई थी। उसके बाद उनको पेंशन मिल रही थी। वही सात सालों से पेंशनर से किसी भी प्रकार का कोई भी जीवित प्रमाण पत्र नही लिया गया और किस आधार पर आज तक मेरी पेंशन मेरे खाते में आती है। आखिर आज जल कल विभाग में पेंशनर के नाम से कौन जीवित प्रमाण पत्र जमा करता रहा है। यह जल विभाग के सबसे बड़ा सवाल खड़ा करने वाला है।
मुझे कुछ हुआ तो विभाग होगा जिम्मेदार-पेंशनर
महिला पेंशनर पिछले 5 सालों से दिल की मरीज भी है। महिला पेंशनर प्रमिला ने मीडिया के सामने अपना पूरा बयान दिया और यह भी कहा कि यदि मुझे कुछ भी होता है तो उसके जिम्मेदार जलकल विभाग के महाप्रबंधक एसके वर्मा, सचिव ओपी सिंह और जोन 7 के अधिशाषी अभियंता एसए द्विवेदी और अकाउंटेंट मृत्युंजय होंगे।