नई दिल्ली, आज निरूपा रॉय का जन्मदिन है। निरूपा को बॉलीवुड में कई शानदार मां के किरदार निभाने के लिए जाना जाता है। 4 जनवरी 1931 को गुजरात के बलसाड में जन्मी थीं निरूपा का असली नाम कांता चौहान था। मां बाप प्यार से छिबी कहते थे। 14 साल की उम्र में ही कांता की शादी कमल बलरासा से कर दी गई, जो राशनिंग इंस्पेक्टर थे।
पति के खोली बॉलीवुड की राह
शादी के बाद कमल और कांता मुंबई चले आए। कमल हीरो बनने के शौकीन थे। एक दिन उन्होंने अखबार में एक गुजराती प्रोडक्शन हाउस का एड देखा। कमल ने इंटरव्यू दिया, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ। पर साथ में गईं कांता को मूवी रणकदेवी में फीमेल लीड रोल ऑफर कर दिया गया। बाद में सनराइज पिक्चर्स के मालिक ने कांता का नाम भी बदल दिया और निरूपा रॉय रख दिया। यह नाम इतना मशहूर हुआ कि निरूपा रॉय के पति ने भी अपना सरनेम बदलकर रॉय रख लिया।
पहले धार्मिक फिर सामाजिक किरदार
निरूपा रॉय ने पहले वे फिल्में की जो या तो हिंदू मायथोलॉजी पर आधारित थीं, या ऐतिहासिक किरदारों पर। जैसे हर हर महादेव, नागपंचमी, शिवकन्या, अमर सिंह राठौर, रानी रूपमती और रजिया सुल्तान। फिर उन्होंने सामाजिक फिल्में कीं जैसे, बेदर्द जमाना, दो बीघा जमीन, घर का मोदी, कंगन।
मां के किरदार से सबसे ज्यादा पहचान
मां के किरदार में तो निरूपा ने रंग जमा दिया। उन्हें सबसे ज्यादा तारीफ मिली दीवार में अमिताभ-शशि की मां का रोल करने से। इसके बाद निरूपा ने मर्द, सुहाग, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर में अमिताभ बच्चन की मां का रोल किया। 2004 में उन्हें फिल्म फेयर ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया और उसी साल हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। खुद अमिताभ बच्चन निरूपा रॉय को मां जैसी इज्जत देते थे। निरूपा के निधन के वक्त अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर लिखा, आज मैंने मां खो दी है।