नई दिल्ली, अमेरिकी एयर स्ट्राइक में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद मध्य एशिया में काफी उथल-पुथल है। अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। आप सोच रहे होंगे कि कि युद्ध हुआ तो बड़ा नुकसान ईरान का होगा। इस युद्ध में अमेरिका का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस युद्ध में केवल नुकसान ईरान का ही है। ऐसा नहीं है कि इस युद्ध में अमेरिका आैर उसके मित्र देशों का भी भारी नुकसान होगा। आइए देखते हैं कि अमेरिका का क्या नुकसान होगा ?
बारूद की ढेर पर बैठे हजारों अमेरिकी सैनिक
इराक से लेकर ओमान तक यानी पूरे खाड़ी देशों में हजारों अमेरिकी सैनिकों का जमावड़ा है। अगर अमेरिका ने ईरान पर सीधा हमला किया तो उसके हजारों अमेरिकी सैनिकों को बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा। ईरान के पास एेसी मिसाइलें और दूसरे हथियार हैं, जो अगर ईरान ने अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ इस्तेमाल किया तो अमेरिकी सैनिकों को भारी नुकसान हो सकता है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। केवल इराक़ में ही पांच हजार सैनिकों की तैनाती है। जाहिर है ईरान की नजर इन पांच हजार सैनिकों पर होगी । यह अाशंका इसलिए प्रबल है क्योंकि अतीत में ईरान और उसके समर्थकों ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर ऐसा किया है।
इसके अलावा कई खाड़ी देशों में अमेरिका के पोर्ट, हार्बर और जंगी जहाजों की तैनाती है। ऐसे में ईरानी मिसाइल का निशाना ये अमेरिकी केंद्र भी हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो इस युद्ध का असर व्यापक होगा। यही वजह है कि सऊदी अरब और अरब अमीरात जैसे देश सहमे और डरे हुए हैं। इसके अलावा इसका असर यहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। इसलिए अमेरिका चाहे युद्ध की कितनी ही धमकी दे, लेकिन ईरान के साथ सीधे जंग लड़ना उसके लिए एक बड़ी समस्या का न्यौता देने जैसा है। यही वजह है कि अमरीका और ईरान की लड़ाई तेज़ होती जा रही है, लेकिन अमरीका सीधे तौर पर ईरान पर हमला करने से बच रहा है।
क्या है ईरान की कुद्स फ़ोर्स
सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान की कुद्स फ़ोर्स खुब सुर्खियों में रही। ऐसे में सवाल उठता है कि अाखिर ये कुद्स फ़ोर्स है क्या। इसका ईरान की सुरक्षा व्यवस्था में क्या भूमिका है। दरअसल, कुद्स फ़ोर्स ईरान की सुरक्षा बलों की एक प्रमुख शाखा है। यह बल विदेशों में चल रहे ईरान के सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देता है। इस बल के कंमाडर सुलेमानी थे। सुलेमानी कई वर्षों ते लेबनान, इराक, सीरिया समेत अन्य खाड़ी देशों में योजनाबद्ध हमलों के जरिए मध्य पूर्व में ईरान और उसके सहयोगियों के प्रभाव व प्रभुत्व को बढ़ाने का काम किया। दूसरे ईरान का मध्य एशिया में प्रभुत्व बढ़ाने में भी इस बल की अहम भुमिका रही है।