तेज रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा ये खतरा, नासा के वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

नई दिल्ली, अंतरिक्ष में हजारो ऐसे एस्टेरॉयड मौजूद हैं, जो धरती से टकरा जाएं तो भारी तबाही ला सकते हैं। साल का पहला चंद्र ग्रहण पृथ्वी के लिए मुसीबत लेकर आया है। नासा ने पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ रहे एक एस्टेरॉयड को लेकर चेतावनी जारी की है, जो धरती के लिए खतरा साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराया तो इससे भरी तबाही मचा सकता है।

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने एस्टेरॉयड ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए इस विशालकाय धूमकेतु 2020 AB2 का पता लगाया है। यह यह धूमकेतु 12 जनवरी को पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। धूमकेतु जिस रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है, अगर यह पृथ्वी से टकरा तो भयंकर सुनामी ला सकता है। हालांकि नासा का कहना है कि धूमकेतू पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा।

आ सकती है 185 फीट ऊंची सुनामी

नासा ने इस एस्टेरॉयड के आकार और इसकी रफ्तार के बारे में भी जानकारी दी है। 49 फीट (15 मीटर) चौड़ा यह एस्टेरॉयड लगभग एक डबल डेकर बस के के बराबर है, और इससे तीन गुना लंबा भी है। नासा की मानें तो यह धूमकेतु 28,440 प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। इसकी रफ्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी यह महज 6 मिनट में पूरी कर सकता है। इस रफ्तार से टकराने वाला धूमकेतु 185 फीट ऊंची सुनामी ला सकता है। यहां आपको जानकारी के लिए बता दें कि मानव निर्मित अब तक का सबसे तेज जेट लॉकहीड एसआर -71 ब्लैकबर्ड एक घंटे में भी लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी तय नहीं कर सका।

भविष्य में इससे भी बड़ा खतरा

वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में इससे भी बड़े आकार के एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। हालांकि इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना बहुत कम है। नासा के मुताबिक हर साल 3 लाख में से सिर्फ एक अवसर ऐसा होता है जिसमें इसके टकराने की संभावना होती है। नासा को डर है कि जिस एस्टेरॉयड में पृथ्वी के किसी देश को तबाह करने की क्षमता है वह अगले 120 वर्षों के भीतर यानी साल 2135 में टकरा सकता है।

2013 में चेलियाबिंस्क से टकराया था एस्टेरॉयड

धूमकेतु या एस्टेरॉयड हमारे सोलर सिस्टम का ही हिस्सा होते हैं, जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के टुकड़े होते हैं। अधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया, सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण से बने होते हैं। साल 2013 में चेलियाबिंस्क में एक छोटा पिंड टकराया था, जिसकी वजह से 66 फीट गहरा गड्ढा हो गया था। यह टक्कर दक्षिणी यूराल क्षेत्र में हुई थी जिसके कारण करीब 1500 लोग घायल हो गए थे और संपित्तयों को काफी नुकसान पहुंचा था। यह इतनी तेज घटना थी जिसे लोग समझ ही नहीं पाए थे।

 

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