लखनऊ । बेटियां बेमिसाल हैं। राजधानी के इंदिरानगर सेक्टर-19 निवासी 22 वर्षीय पूर्वा ने इसे एक बार फिर सिद्ध किया है। बुलंदियों के पहाड़ चढ़ रही इस बेटी ने कई दुर्गम शिखर नापे हैं। वह पिछले वर्ष यूरोप के माउंट एल्ड्रस की चढ़ाई करने वाले दल में प्रदेश की अकेली पर्वतारोही थीं। इन दिनों वह मिशन एवरेस्ट की तैयारी में जुटी हुई हैं।
पूर्वा के पिता एके धवन ने मोपेड से लेह लद्दाख का दौरा किया था तो बेटी पूर्वा एवरेस्ट फतह करने की कवायद कर रही है। वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एवरेस्ट फतह के लिए पूर्वा धवन को दो लाख की आर्थिक मदद दी तो महापौर संयुक्ता भाटिया ने ‘तिरंगे और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओÓ के बैनर के साथ उसे राजधानी से रवाना किया। 15 अक्टूबर को वह काठमांडू के लिए रवाना हुईं और 18 अक्टूबर से उत्तराखंड के माउंट जोगिन (6116 मीटर ऊंची चोटी) में तिरंगा फहराया था। इससे पहले वह पिछले साल की अफ्रीका जाने वाले दल में यूपी का नेतृत्व कर चुकी हैं। पिता और पद्मश्री अरुणिमा सिन्हा को अपना आदर्श मानने वाली पूर्वा एवरेस्ट की चोटी को फतह करना चाहती हैं। उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियङ्क्षरग से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली पूर्वा इन दिनों हैदराबाद की एक संस्थान से एवरेस्ट फतह के लिए ट्रेनिंग ले रही हैं। 2021 में वह एक बार फिर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओÓ के नारे के साथ एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के लिए रवाना होने को बेताब हैं।
ऑपरेशन से भी नहीं डिगा जज्बा
कहते हैं जब आपके अंदर लक्ष्य पाने का जज्बा होता है तो कोई परेशानी आपको डिगा नहीं सकती। पूर्वा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। तीन बार गर्दन की सर्जरी होने के बावजूद पूर्वा ने अपना मिशन नहीं छोड़ा है। उनका कहना है कि जब तक एवरेस्ट फहत नहीं कर लूंगी तब तक मेरे लिए कोई भी दर्द मायने नहीं रखता।