रैन बसेरा में व्यवस्था का बुरा हाल, भटक रहे राहगीर

मुत्तलिब सिद्दीकी/न्यूज वाणी ब्यूरो
खैराबाद/सीतापुर। नगर निगम क्षेत्र में संचालित रैन बसेरा अब असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है। यहा रात में ठहरने वाले आम लोगों के लिए बेहतर नहीं रह गया है। इस रैनबसेरा में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। कड़ाके की ठंड में लोगों को रैनबसेरा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, राहगीर खैराबाद की पुरानी दरगाहो का आश्रय लिये है। मोहल्ला कुलहान सरांय, खैराबाद में बने रैनबसेरा की हकीकत जानने के लिए श्नगर की बात टीम पहुँची, तो यहाँ के हालात बद से बदत्तर देखने को मिले, रैनबसेरा का दरवाजा तो खुला मिला और रैनबसेरा की बाउंड्री के अंदर कुछ लोगो मिले, जो अलाव से अपनी सर्दी मिटा रहे थे। नगर पालिका परिषद क्षेत्र में संचालित इस रैन बसेरा अब असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है। रैनबसेरा में अव्यवस्थाओं का अंबार देखने को मिला। कड़ाके की ठंड में इस रैनबसेरा पहुंचने वाले राहगीरों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है, बीच मोहल्ला में बना यह रैन बसेरा बेकार साबित हो रहा है। रैनबसेरा के बाहर कुछ लोग मिले। जिन्होंने बताया कि यहाँ शायद ही कभी कोई यहां रुकता हो, इस रैनबसेरा में गद्दे, चादर और विद्युत की कोई व्यवस्था तक नजर नही आयी। स्थानीय लोगो ने बताया कि चैकीदार दरवाजा खोल कर चला जाता हैं। जिसके चलते असमाजिक तत्वों का रैनबसेरा के अंदर बसेरा बना रहता हैं। यदि जल्दी इन असामाजिक तत्वों पर रोकथाम नही की गई तो भविष्य में कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती हैं। जिसकी जिम्मेदारी नगर पालिका परिषद खैराबाद के जिम्मेदारो को ही माना जा सकता है। वही आजकल यहां रात में ठहरने के लिए आम लोगों के लिए बेहतर नहीं रह गया है। अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है, कड़ाके की इस ठंड में लोगों को रैन बसेरा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। खैराबाद नगर पालिका परिषद की ओर से सुध लेने वाला कोई भी जिम्मेदार मौके पर मौजूद नहीं मिला। जिसके चलते रेनबसेरा का हाल बहुत बुरा देखने को मिला, संचालित इस रैनबसेरा को शासकीय नियमों व योजनाओं को ठेंगा दिखाया जा रहा हैं। भारत के सविंधान का इक्कीसवां अध्याय देश के हर नागरिक को रहने की सुविधा उपलब्ध कराने का वादा करता है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वे जरूरतमंदो के लिए रैन बसेरे बनाये जहां गरीब सम्मानजनक तरीके से रह सकें। यह भी कहा गया था कि देश के सभी शहरों में जनसंख्या के आधार पर ष्रैन बसेराष् जरूर बनाया जाए। इन रैन बसेरों में आश्रय-विहीन गरीबों के लिए मुफ्त में बिस्तर, कम्बल, रजाई गद्दे, भोजन, पानी, शौच-स्नान, सर्दियों में अलाव जलाने और जीवन रक्षक दवाओं की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन इन आदेशों की क्या धज्जियां उड़ रही हैं, यह कुल्हान सरांय रैनबसेरा में साफ देखने को मिला है, वही कड़ाके की इस ठंड में लोगों को रैन बसेरा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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