नई दिल्ली: चारा घोटाला से जुड़े छह मामलों में से दुमका कोषागार के चौथे मामले में लालू यादव को 14 साल की सजा सुनाई गई है. घोटाले से जुड़े अब तक के चारों मामलों में आरजेडी प्रमुख को मिली ये अब तक की सबसे बड़ी सजा है. इससे पहले उन्हें इसी साल 24 जनवरी को कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई थी. शनिवार को आए फैसले में लालू यादव पर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जो अब तक लगाए गए जुर्मानों में सबसे ज्यादा है. यह जुर्माना राशि नहीं भर पाने पर लालू यादव की सजा एक साल और बढ़ जाएगी. लालू फिलहाल बिरसा मुंडा जेल में अपनी सजा काट रहे हैं.
इससे पहले लालू को हुई इन मामलों में सजा
चारा घोटाला में पहली बार 1996 में मामला दर्ज किया गया था. उस समय मामले में लालू यादव सहित 49 आरोपी थे. मुकदमे के दौरान 14 की मौत हो गई. पटना हाईकोर्ट द्वारा मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. साल 2013 में लालू यादव को सबसे पहले चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 37.7 करोड़ रुपये निकालने का दोषी करार दिया गया था. कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी.
24 जनवरी 2018: चाईबासा कोषागार मामला
24 जनवरी 2018 को लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र सहित 50 आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये का गबन करने के मामले में दोषी करार दिया. कोर्ट ने पांच साल की सजा के साथ ही लालू पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
6 जनवरी 2018: देवघर कोषागार मामला
6 जनवरी 2018 को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने लालू पर दस लाख का जुर्माना भी लगाया. इस फैसले के बाद से ही लालू यादव बिरसा मुंडा जेल में बंद है.
24 मार्च 2018: दुमका कोषागार मामला
चारा घोटाला के दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को दोषी करारा देते हुए सबसे बड़ी सजा सुनाई गई. उन्हें अलग-अलग धाराओं के तहत 7-7 साल की दो सजा सुनाई गई. साथ ही दोनों धाराओं में उन पर 30-30 लाख का जुर्माना भी लगाया गया.
क्या है चारा घोटाला
चारा घोटाला बिहार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था जिसमें पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाले गए थे. सरकारी खजाने की इस चोरी में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी आरोपी बनाया गया था. घोटाले में आरोपी बनाए जाने के बाद लालू यादव को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि, उन्होंने कुर्सी अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी थी.