गुलाम थे गुलाम हैं और गुलाम ही रहेगे हम-रामलाल

इमरान सागर/न्यूज वाणी ब्यूरो
शाहजहाँपुर। समाज में राष्ट्रीय पर्वो का मंच हो या राजनीतिक आदि मंच हो, हर मंच से छुआछूत खत्म करने, इंसानी एकता का परचम लहराने की बात तो, शब्दो में व्यक्त कर मंच तक ही सिमित रहती है लेकिन, बाल्मीक समाज को आज तक कभी गले नही लगाया जा सका! जातिवाद दर्द के रूप में उक्त विचार व्यक्त कर रहे थे। गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के मौके पर नगर पालिका परिषद के मंच से सेवानिवृत सफाई नायक रामलाल। सेवानिवृत कर्मचारी रामलाल बाल्मीकि समाज से हो कर भी इंसानियत और समाज सेवा को सर्वोपरि मानते हैं कि कितना भी माने और करें हम लेकिन हम पहले भी गुलाम थे और आज भी गुलाम हैं और मुझे लगता है कि जिस प्रकार से एकता की बाते मंच तक सीमित रह कर समाज में जातिवाद का जो जहर बढ़ रहा है तो गुलाम ही रहेगे।
71 वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं के अनेको व्यक्कव्य सुनने के बाद अपनी वारी आने पर उन्होने पालिका के सफाई विभाग में सफाई मित्रो के पद तैनात बाल्मीकि समाज के दर्द को बैयान करते हुए कहा कि भले ही किसी मंच से सफाई मित्रो को अपना भाई कहा जाता हो, उनके साथ भेद भाव से इंकार किया जाता हो लेकिन किसी भी कार्यक्रम के तहत जहाँ सफाई कराने के लिए उन्हे सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़ा किया जाता है परन्तु कार्यक्रम आरंभ होने के साथ ही उन्हे सबसे पीछे और अलग पहुंचा दिया जाता रहा है। श्री रामलाल के व्यक्तव्य के दौरान हालाकि सभासद पवन कुमार ने मंच पर पहंच कर उन्हे गले से लगा लिया। मंच पर उनके द्वारा भेदभाव की नीति खत्म करने पर जोर देते हुए प्रश्न किया कि हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि सब अपनो-अपनो के साथ हो रहे हैं तो फिर भारतीय किधर जाय..? हम भारत में रह कर पहले भारतीय हो और अपनी एकता को सिर्फ भारतीय बनाये रखे। इस मौके पर इमरान सागर, दिग्विजय सिंह, डॉ० प्रमोद मिश्र, सभासद, सुनील गुप्ता, चाँद अंसारी, प्रदीप गुप्ता दीपू तथा पूर्वाध्यक्ष इमरान खाँ अध्यक्ष प्रतिनिधि आदि ने गणतंत्र दिवस की शुभकामंनाओं के साथ अपना व्यक्तव्य प्रस्तुत किया, इससे पूर्व ठीक साड़े आठ बजे अधिशासी अधिकारी सर्वेश कुमार द्वारा ध्वजा रोहण करने के बाद कमलदीप सक्सेना, अयूब हुसैन, इस्लाम अली ने राष्ट्रीयगान गाया। कार्यक्रम के मौके पर तौहीद, शहजिल, आरिफ, मो० इरफान, समद आदि नगर पालिका का समस्त स्टाफ व नगर के सैकड़ो लोग मौजूद रहे।

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