सीकर (राजस्थान).कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल विजेता गीता फोगाट, उनकी बहन बबिता व पिता महावीर सिंह रविवार को सीकर में थे। इस दौरान वे स्टूडेंट्स से रूबरू हुए। स्टूडेंट्स ने दंगल फिल्म, करियर, कुश्ती और परिवार सहित कई बातों को लेकर सवाल पूछे। मेडल विजेता बहनों ने अपने जीवन के किस्सों से स्टूडेंट्स को बताया कि कैसे हर मुश्किल को धोबीपछाड़ देकर जिंदगी का दंगल जीत सकते हैं। कहा- बापू नहीं हैं हानिकारक…
गीता-बबिता ने बताया बचपन में मां बस कहती थी कि जो पिता ने कह दिया वही करना है।
– हम सोचते थे कि कितने बीमार पड़ते हैं, लेकिन मेरे पिता को कभी कोई तकलीफ ही नहीं होती थी।
– वाे यादें आज हमें गुदगुदाती हैं। हम भाग्यशाली हैं कि ऐसे माता-पिता मिले हैं। पिता ने इस मुकाम तक पहुंचाया।
गीता ने किस्सों के जरिए बताए जीवन में सफलता के 4 मूलमंत्र
अनुशासित रहें…शुरुआत में रोज सोते-जागते मेहनत करना पड़ता था। जो हमें तकलीफ दायक और बुरा लगता था। खेलने-कूदने के दिनों में बाबा ने हमें अखाड़े में उतार दिया और लड़कों के साथ कुश्ती सिखाते थे। वही ट्रेनिंग बाद में काम आई।
बेखौफ रहें…हम दोनों बहनें चाचा-ताऊ के लड़कों के साथ अभ्यास करते थे। बाबा जब हमें शुरुआत में दंगल में लेकर गए तो लोगों की भीड़ को देखकर मन में थोड़ी झिझक होती थी। लेकिन अखाड़े में पहुंचते ही लड़कों को हराना एकमात्र लक्ष्य होता था।
परिश्रम करें…ट्रेनिंग के दौरान चोट लग जाती और हम बहाना बनाते तो मेरे पिता हमेशा कहते थे कि स्कूल में जाने वाला बच्चा छुट्टी की सोचने लग जाए और आराम करने की सोचने लग जाए तो वह कभी भी कामयाब नहीं हो सकता।
आत्मविश्वास रखें…2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने वाले थे तभी से प्रेशर था। जब वो दिन आया मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। मुझे यह भी चिंता थी कि कि यदि मैं सो नहीं पाई और आराम नहीं कर पाई तो कल मैच कैसे लड़ूंगी। लेकिन हिम्मत थी और दो साल से मेहनत पर विश्वास भी। लास्ट बाउट में टॉस जीतने के बाद अपोनेंट ने मेरे पैर पकड़कर पछाड़ने की कोशिश की। मात्र पांच से सात सेकंड रह गई थी। उस समय सबने कह दिया कि अब इसका जीतना नामुमकिन है, मैंने भगवान को याद किया और उसे पटखनी देकर मैच जीत लिया।