अजय देवगन स्टारर मैदान में दिखाई जाएगी उस कोच की कहानी, जिसने कैंसर से लड़ते हुए भारत को दिलाया गोल्ड
नई दिल्ली, अजय देवगन ने एक नई फ़िल्म का पोस्टर जारी किया है। 27 नवंबर, 2020 को उनकी नई फ़िल्म ‘मैदान’ रिलीज़ होगी। यह फ़िल्म फुटबाल टीम के ऊपर आधारित है। इस फुटबाल टीम ने साल 1956 के समर ओलपिंक में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। वहीं, 1962 में हुए एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल भी जीता था। अब इस टीम की कहानी को फ़िल्माया जाएगा।
‘मैदान’ नाम की इस फ़िल्म में अजय देवगन कोच सैय्यद अब्दुल रहीम का किरदार निभाएंगे। सैय्यद अब्दुल रहीम अब तक के भारत के सबसे सफ़ल फुटबॉल कोच को हैं। हम इस आर्टिकल में आपको इसी कोच के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं..
रहीम का जन्म 17 अगस्त, 1909 को हैदराबाद में हुआ था। वह पेशे टीजर थे। कहा जाता है कि उनमें लोगों को मोटिवेट करने की गज़ब की क्षमता थी। साल 1943 में वह हैदराबाद सिटी पुलिस की फुटबाल टीम के साथ बतौर कोच जुड़े। उनके जुड़ते ही टीम काफी बदलाव आ गया। उनके काम पर करीब 6-7 साल बाद इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की नज़र पड़ी। इसके बाद वह 1950 में वह टीम इंडिया के कोच और मैनेजर बने।
टीम इंडिया को पहनाए जूते
साल 1952 में भारतीय टीम हेलसिंकी में ओलपिंक खेलने गई। इसमें वह बिना जूतों की ही मैदान में उतरी। टीम को भयानक हार का सामना करना पड़ा। रहीम ने तय किया कि अब उनकी टीम जूते पहनकर मैदान में उतरेगी। इसके बाद 1956 में ओलपिंक मेलबर्न में खेला गया। वहां टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर बड़ा उल्टफेर किया। टीम ने सेमीफाइनल तक का सफ़र तय किया। यह भारत के अब तक के फुटबॉल इतिहास का सबसे बड़ा अचीवमेंट है।
11 जून, 1963 को कोच रहीम कैंसर से लड़ते हुए दुनिया छोड़ गए। हालांकि, कैंसर से लड़ते हुए ही, उन्होंने टीम को 1962 में एशियन गेम्स जकार्ता (इंडोनेशिया) में गोल्ड दिलाया था। उनकी तबीयत ख़राब थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। टीम के खिलाड़ी भी घायल थे, लेकिन आखिर में उन्होंने यह खिताब भी जीत लिया।