पत्नी से विवाद के बाद इतना बढ़ गया तनाव कि डॉक्टर ने खुद को गोली से उड़ाया

कानपुर ।  यशोदा नगर के कबीर अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाले कुशीनगर के 30 वर्षीय बीएचएमएस डॉक्टर नीरज पांडेय ने शनिवार देर शाम पत्नी से विवाद के बाद तमंचे से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। दूसरी मंजिल पर रहने वाला छात्र आवाज सुनकर पहुंचा तो जानकारी हुई। सूचना पर पत्नी व ससुराल पक्ष के लोग पहुंचे। उन्होंने डॉक्टर पर कई आरोप लगाए। पुलिस कुशीनगर निवासी डॉक्टर के स्वजनों के आने का इंतजार कर रही है।

सात साल पहले किया था प्रेम विवाह

कुशीनगर के पटरौना अंतर्गत ग्र्राम खड्डा बुजुर्ग निवासी डॉ. हीरालाल पांडेय के बेटे डॉ. नीरज पांडेय ने 2013 में बर्रा के तात्या टोपे नगर निवासी अधिवक्ता शिवराम शर्मा की बेटी खुशबू से प्रेम विवाह किया था। खुशबू भी आंखों की डॉक्टर हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस करती हैं। पुलिस के मुताबिक शादी के बाद डॉ. नीरज, पत्नी के साथ उनके मायके में रहने लगे थे। दोनों का छह वर्षीय बेटा तेजस्य और तीन वर्ष की बेटी कनक है। कुछ दिन से पत्नी से मतभेद होने पर नीरज बर्रा तीन की एलआइजी कॉलोनी में रामस्वरूप के घर किराये पर रह रहे थे। शनिवार को मकान मालिक परिवार संग किसी शादी समारोह में गए थे। उनका बेटा अनुज ही घर पर था।

दिल के पास लगी गोली, पास में पड़ा था तमंचा

देर शाम करीब सात बजे गोली चलने की आवाज आई तो दूसरी मंजिल पर रहने वाले प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा छात्र नीचे आया। उसने नीरज को खून से लथपथ देख मकान मालिक के बेटे को जानकारी दी। नीरज के दिल के पास गोली लगी थी। पास ही 315 बोर का तमंचा पड़ा था। कुछ देर बाद नीरज के दोस्त का भाई और बर्रा पुलिस पहुंची। इसके बाद फॉरेंसिक टीम बुलाई गई। मौके पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। इसके बाद नीरज के ससुरालवाले पहुंचे। उन्होंने नीरज के किसी युवती से संबंधों का आरोप लगाया। गोविंद नगर सीओ मनोज गुप्ता ने बताया कि पत्नी से अलग रहने के बाद डॉ. नीरज के तनाव में रहने की बात सामने आई है। संभवत: इसी वजह से आत्महत्या कर ली।

नशे के इंजेक्शन लेते थे नीरज

रात में अस्पताल का स्टाफ घटनास्थल पर पहुंचा। दो डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि डॉ. नीरज करीब 20 दिन से पत्नी से अलग रह रहे थे। पूर्व में वरुण विहार में कमरा लिया था और चार दिन पूर्व ही बर्रा तीन में रहने आए थे। वह तनाव में रहते थे और अक्सर नशे के इंजेक्शन लेते थे। उनके हाथ की नसें बंद हो गई थीं, इसका इलाज भी चल रहा था।

 

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