न्यूज वाणी ब्यूरो
काशीपुर/उत्तराखण्ड। बजट भाषण के बाद भाकियू युवा प्रदेश अध्यक्ष चै रवीन्द्र सिंह राणा ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया कि देश का बजट एक वार्षिक प्रक्रिया है। इसका गांव गरीब किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं है। जिस तरह का गोलमोल बजट पेश किया गया है। उसका विश्लेषण करना भी बड़ा कठिन कार्य है। देश की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर आश्रित है लेकिन इतनी बजट बड़ी जनसंख्या के लिए केवल 16 सूत्री कार्यक्रम किसान कल्याण नहीं कर सकते। जिस संकट के दौर से कृषि क्षेत्र गुजर रहा है उसके लिए 16000 छोटे-बड़े कार्यक्रम भी चलाये जाए तो कम है।
किसानों का मुख्य विषय लाभकारी मूल्य और खरीद की गारंटी का बजट भाषण में वित्त मंत्री जी द्वारा जिक्र तक नहीं किया गया इससे बड़ी निराशा किसानों के लिए है। फसल बीमा में बदलाव,कर्ज माफी,किसान सम्मान निधि में बजट न बढ़ाना आदि महतवपूर्ण विषयों को वित्त मंत्री जी ने छुवा तक नही। भारतीय किसान यूनियन इस बजट की निंदा करती है और सरकार से सवाल करती है कि आप यह बताएं कि किस रोड मैप के दम पर आप किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करते हैं। यह दावा किसान के लिए सिर्फ छलावा है। किसानों को बहला-फुसलाकर भोले भाले किसान की वोट पाने के लिए जुमला है। किसानों की रासायनिक खाद की सब्सिडी कम कर दी गई है जिससे देष के उत्पादन पर भी प्रभाव निष्चित है। प्रस्तुत किए जाने वाले बजट से निष्चित है कि सरकार को गांव गरीब किसान से कोई सरोकार नहीं है,बजट किसानों के लिए पूर्णतय निराषाजनक है।
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