मायावती का पुतला फूंकने के मामले में पूर्व सपा जिलाध्यक्ष की जमानत मंजूर

वर्ष 2008 में प्रदर्शन के दौरान बिन्दकी कस्बे में फूंका था पुतला – पूर्व मंत्री समेत एक पूर्व सपा जिलाध्यक्ष की पहले ही हो चुकी थी जमानत
न्यूज वाणी ब्यूरो फतेहपुर। बारह वर्ष पूर्व बिन्दकी कस्बे में प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती का पुतला प्रदर्शन के दौरान आग के हवाले किये जाने के मामले में कई वरिष्ठ सपाईयों पर दर्ज मुकदमें की सुनवाई करते हुए अपर जिला जज कोर्ट नं0 2 के विद्वान न्यायाधीश धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने पूर्व सपा जिलाध्यक्ष रामेश्वर दयाल दयालू के जमानत प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को अर्जी स्वीकार कर ली। इस मामले में इसी कोर्ट से एक सप्ताह पहले पूर्व मंत्री अमरजीत सिंह जनसेवक समेत सपा के ही पूर्व जिलाध्यक्ष समरजीत सिंह की अमानत पहले ही मंजूर की जा चुकी थी।
बताते चलें कि वर्ष 2008 में बहुजन समाज पार्टी की प्रदेश में सरकार थी और मायावती मुख्यमंत्री थीं। समाजवादी पार्टी द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन के तहत पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री अमरजीत सिंह जनसेवक एवं तत्कालीन जिलाध्यक्ष समरजीत सिंह के साथ ही पूर्व सपा जिलाध्यक्ष रामेश्वर दयाल दयालू ने कार्यकर्ताओं संग मायावती के पुतले को बिन्दकी कस्बे में आग के हवाले कर विरोध दर्ज कराया था। इस मामले में इलाका पुलिस ने तीनों नेताओं के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करके आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था। तब से लगातार तीनों नेता अदालत में हाजिर नहीं हो रहे थे। इस पर अदालत ने सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे थे। गिरफ्तारी से बचने के लिए पूर्व मंत्री अमरजीत सिंह जनसेवक व पूर्व सपा जिलाध्यक्ष समरजीत सिंह ने चालू माह की पांच तारीख को अपर जिला जज कोर्ट नं0 2 में आत्मसमर्पण कर जमानत का प्रार्थना पत्र अपने अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्तुत किया था। इस पर चालू माह की सात तारीख को दोनों नेताओं की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली गयी थी। इस मामले के तीसरे अभियुक्त बनाये गये रामेश्वर दयाल दयालू गुप्ता ने भी अपने अधिवक्ता के जरिये अपर जिला जज कोर्ट नं0 2 में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। शुक्रवार को उन्होने अदालत में आत्मसर्पण कर दिया। विद्वान न्यायाधीश धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुए उनकी जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया। जिससे उनके चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दी।

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