प्रदेश सरकार की योजनायें साबित हो रही बौनी, गरीबी से हाॅफ रहा है गरीब

फतेहपुर। न्यूज़ वाणी नफीस जाफ़री उत्तर प्रदेश सरकार गरीबों को अशियाने, रोजगार और बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की बड़ी से बड़ी डीगंे हाकने मे आगे दिखायी दे रही है। अगर इन सभी व्यवस्था ओं पर जमीनी हकीकत तलाशी जाए तो सब कुछ खोखला नजर आ रहा है। गरीबों के लिए अभिशाप बनी गरीबी उन्हें खोखला बनाए जा रही उनकी मुसीबतों को सुनने के लिए कोई आला अफसर नही तैयार है। गरीबी का सामना कर रहे तमाम ऐसे परिवार है जो आला अफसरों की चैखट मे अपनी फरियाद को लेकर दस्तक देते हैं। जिसका नतीजा यह है कि या तो आला अफसरों की चैखट से फटकार लगती है या तो कार्यवाही का आश्वासन देकर खाली हांथ वापस कर दिया जाता है।
जिले के ब्लाक हसवा के ग्राम भैरवा निवासी रामू अपनी पत्नी मीना के साथ मिलकर मजदूरी करता है। उसके दो बेटे और दो बेटिया है। एक बेटी से छोटा बेटा राजन उम्र 10 वर्ष शारीरिक रूप से विकलांग है। रामू अपने बेटे के इलाज के लिए इधर उधर हांथ पैर चलाता रहता है लेकिन उसके बेटे की विकलांगता मे किसी प्रकार का सुधार नजर आता नही है। अपनी गरीबी को कोस कोसकर और अपने बेटे की दशा को देखकर फफक फफक कर रोता रहता है। आज वह अपने बेटे के इलाज के लिए अस्पताल आया था और घर वापस जाने की फिराक मे था लेकिन जेब मे पैसा न होने की वजह से वह अपनी किस्मत को कोसते हुए एक कोने मे बैठकर आने जाने वालों को देख रहा था उसकी गोदी मे 10 वर्ष का विकलांग पुत्र पर भी किसी को तरस नही आ रहा था। आखिर उसकी इस दशा पर जब नजर पहुंची तो उससे उसकी दशा पर जानकारी हासिल करने की कोशिश की गयी तो उसने फूट-फूटकर रोना शुरू कर दिया और कहा कि क्या बताऊं पहले गरीबी तो उसके बाद 10 वर्ष की विकलांगता बच्चे का बोझ मुझसे सहा नही जा रहा है। गांव मे रहने के लिए एक कच्ची कोठरी है जो बरसात के दिनों मे धोखा दे जाती है उसी कोठरी मे अपनी पत्नी और चार मासूम बच्चों के साथ अपनी गरीबी के दिन बिताने मे मजबूर हूं। गांव मे रोजगार के लिए काम नही मिलता है जब गांव के बाहर पति पत्नी मिलकर गारा माटी का काम करता हूं तो शाम के वक्त घर का चूल्हा जलता है और बच्चों की भूख मिटती है। कालोनी को लेकर कई बार प्रधान से मिन्नत की लेकिन प्रधान के द्वारा सुविधा शुल्क देने की बात कही गयी और इसके बाद कालोनी की बात वहीं की वहीं रूक गयी। लगभग 2 साल का वक्त गुजर गया है और राशन कार्ड की सुविधा नही मिल पायी है। कोटे से मिलने वाला राशन भी उसकी झोली से छिन गया। अब वह कभी कभी तो भूख की आग बुझाने के लिए दूसरों के दरवाजे पहुंच कर उधारी अनाज भी मांगने को यह गरीबी मजबूर कर रही है। किसी तरह से विकलांग बच्चे का प्रमाण पत्र जिला अस्पताल के जरिए मिला और उस प्रमाण पत्र पर शासन से बताया गया कि उसे विकलांग पेंशन भी मिल सकती है जिसके लिए वह टिकरी स्थित बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक मे खाता खुलवाने के लिए कई बार पहुंचा लेकिन बैंक के कर्मियों ने उसका खाता खोलने से मना कर दिया है। भैरवां निवासी रामू ने अपनी गरीबी का दंश लेकर कई बार ब्लाक स्तरीय अधिकारियों के चैखट पर भी पहुंचकर प्रदेश सरकार की योजनाओं से लाभान्वित किये जाने के लिए प्रार्थना पत्र देकर गुजारिश भी की लेकिन अधिकारियों ने उसकी गरीबी का इस कदर मजाक उडाया कि उसके प्रार्थना पत्र के जवाब मे कहा कि जरूरी नही है कि गांव मे ही रहा जाये शहर मे भी आकर रिक्सा चलाकर पेट की आग को बुझाया जा सकता है तुम जैसे तमाम गरीब परिवारों ने गांव से रिश्ता नाता तोड़कर अपने बाल बच्चों के साथ शहर की चैखट मे रहकर बेहतर जीवन गुजार रहे हैं। रामू की गरीबी और आला अफसरों की यह जवाबदेही से साफ हो रहा है कि प्रदेश सरकार की कथनी का असर आला अफसरों मे जरा भी नजर नही आ रहा है वहीं कही न कही जिले के मुखिया भी कुंभकर्णी नींद मे समाये हुए हैं और ऐसे गरीब परिवारों की स्थितियों से वाकिफ होना नही चाह रहे हैं।

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