न्यूज़ वाणी नफीस जाफरी
फतेहपुर। कभी शिक्षा के मंदिर अपनी परिश्रम के बल पर बच्चों को संस्कारित व होनहार बनाने का ईमानदारी से जतन करते थे। लेकिन वर्तमान दौर में अब शिक्षा के मंदिर भी व्यवसायिक प्रतिष्ठान साबित होकर उठे हैं। ऐसे विद्यालयों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जो अपने विद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों की पुस्तकों के साथ-साथ स्कूल की डेªस में भी अमुक दुकानों पर ही खरीदने की हिदायत देते हैं। ऐसे विद्यालयों के बोर्ड भी पुस्तक विक्रेताओं की दुकानों पर कभी भी देखे जा सकते हैं।
बताते चलें कि काफी समय से शिक्षा के मंदिर अब व्यवसायिक रूप लेते जा रहे हैं। जहां पर प्रवेश शुल्क से लेकर मासिक फीस भी अनाप-शनाप वसूली जा रही है। इसके अलावा अन्य मदो में भी भारी भरकम पैसा अभिभावकों से लिया जा रहा है। ऐसे विद्यालयों के खिलाफ अभिभावक संघ लगातार मोर्चा खोले हुए है। लेकिन विद्यालयों पर इसका कोई असर दिखता फिलहाल नजर नही आ रहा है। हद तो तब हो गयी जब शिक्षा के मंदिरों ने अपनी पसंद की दुकानों से पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ डेªस भी खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर दिया है। ऐसे विद्यालयों के बोर्ड पुस्तक विक्रेताओं की दुकानों पर लगे हुए हैं। जो उनकी दुकानों की शोभा बढाने के साथ-साथ कमीशनबाजी का चीख-चीखकर बयान करने के लिए पर्याप्त हैं। पत्थरकटा चैराहा स्थित एक दुकान पर महर्षि योगी द्वारा संचालित विद्यालय महर्षि विद्या मंदिर इण्टर कालेज के बोर्ड लगे हैं। जिन पर लिखा हुआ है कि यहां पर सभी कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध है। इतना ही नही इस विद्यालय की डेªस का भी बोर्ड लगा रखा गया है। जिसमे लिखा है कि डेªस भी यहीं पर मुहैया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या अन्य दुकानों में इस विद्यालय की पाठ्य पुस्तकें नही मिल पायेंगी? या फिर कमीशनबाजी के लिए एक-दो दुकानों को विद्यालय तंत्र द्वारा अधिकृत कर दिया गया है। ऐसे में लाजमी है कि सिर्फ अधिकृत दुकानों पर पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ डेªस खरीदने के लिए दुकानदारों के बताये रेट पर ही अभिभावक को सामग्री का भुगतान करना होगा।