मानव एवं वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के उपाय बताएं

न्यूज वाणी ब्यूरो/चाँद मियाँ खान, रिजवान अली
पलिया-खीरी। दुधवा व गौरीफण्टा रेंज में क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यशाला, पारिस्थितकीय विकास समिति प्रशिक्षण/जागरूकता कार्यक्रम मानव वन्य जीव संघर्ष निवारण जागरूकता कार्यालय व वन अग्नि सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के तहत संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
आज दुधवा रेंज के छेदिया पूरब गाॅव में क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यशाला, पारिस्थितकीय विकास समिति प्रशिक्षण/जागरूकता कार्यक्रम मानव वन्य जीव संघर्ष निवारण जागरूकता कार्यालय व वन अग्नि सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के तहत जागरूकता संगोष्ठी छेदिया पश्चिम ग्राम पंचायत में आयोजित की गई। जागरूकता कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए दुधवा रेंज के प्रभारी क्षेत्रीय वन अधिकारी सोबरन लाल ने बताया कि वर्तमान समय में प्राकृृतिक संतुलन को कायम रखने के लिए मनुष्य को प्रकृृति से छेड़-छाड नहीं करना है। प्रकृृति से छेड़-छाड का नतीजा आज कोरोना वायरस के रूप में वैश्विक महामारी के रूप में दुनिया के सामने है। यह घटना चिन्ता का विषय है। इसलिए हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए। जागरुकता कार्यक्रम में वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा में लगे स्टाफ की क्षमता विकास पर भी बल दिया गया। जागरूकता कार्यक्रम में ईको विकास समितियों के साथ लाभ व इसके माध्यम से वनों पर निर्भरता को कम करने का सुझाव दिया गया। मानव वन्य जीव संघर्ष की रोकथाम के उपाय बताये गये। जागरूकता कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि जब वनों में आग लगती है, तो पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ कई प्रकार के वन्य जीव इसकी चपेट में आ जाते हैं। जिससे उनका अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुुंच जाता है। जागरूकता कार्यक्रम में जन समुदाय से प्रकृृति की रक्षा करने की अपील की गई। कार्यक्रम में स्टाफ की क्षमता विचार हेतु एक-एक किट भी वितरित की गई। कार्यक्रम में ग्राम प्रधान रामनरेश, ईको विकास समितियों के अध्यक्ष व सदस्य तथा दुधवा रेंज के स्टाफ कमला प्रसाद पाल वन दरोगा, रामदास श्रीवास्तव वन दरोगा, सघन लाल वन दरोगा, विजय कुमार वन्य जीव रक्षक व श्री अजय कुमार शर्मा वन्य जीव रक्षक उपस्थित रहे। गौरीफण्टा रेंज के कीरतपुर में भी क्षमता विकास प्रशिक्षण/कार्यशाला, वन अग्नि सुरक्षा एवं प्रबंधन संगोष्ठी व मानव वन्य जीव संघर्ष रोकथाम हेतु कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रभारी क्षेत्रीय वन अधिकारी खड़ग बहादुर ने लोगों से वन अग्नि के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए अपील की कि अग्नि से केवल वन एवं वन्य जीव प्रभावित नही होते हैं, बल्कि इससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है, जिससे नुकसान पूरे समुदायों उन लोगों को उठाना पड़ता है, जो कभी इसके बारे में स्वप्न में नही सोंचते। पर्यावरण प्रदूषण के दुष्कर परिणाम हो सकते हैं, लगभग हर वर्ष प्रकृति अपने को संतुलित करने का यत्न करती है, जिसके परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदाएं घटित होती हैं। वन एवं वन्य जीवों से लाभ केवल विभाग को नही अपितु यह समस्त मानव कल्याण के लिए आवश्यक हैं। इसलिए कुछ भी ऐसा न किया जाए जिससे अग्नि की दुर्घटना घटित हों। कई बार हम चाह कर गलती नही करना चाहते, परन्तु त्रुटिवश अंजाने में ऐसी गलतियाॅ हो जाती हैं, जो पर्यावरण को अपूर्णनीय क्षति पहुॅचाती है, जैसे जलती हुई माचिस की तीली, बीड़ी, सिगरेट आदि बिना ठीक से बुझाए फेंक देने से आग की घटनाएं घटित हो जाती हैं। हम सबका यह दायित्व है, इन स्थितियों से अग्नि की दुर्घटनाएं घटित न होने पाएं। कार्यक्रम के अंत में कर्मचारियों में क्षमता विकास की दृष्टि से आवश्यक किट भी वितरित करते हुए सूक्ष्म जलपान कराकर कार्यक्रम को पूर्ण किया गया। कार्यक्रम में राजाराम तिवारी, सुमित कुमार, सर्वेश कुमार वन्य जीव रक्षक के साथ-साथ ग्रामवासी भी उपस्थित रहे।

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