रोजी से ज्यादा अब रोटी की चिंता, जान का जोखिम मोल लेकर सैकड़ों किमी पैदल चलकर घर जा रहे लोग

दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर. कोरोनावायरस के चलते देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन का शनिवार को चौथा दिन है। वायरस के खतरे के कारण रोजगार गवां चुके लाखों मजदूरों को अब खाने की चिंता सता रही है। महानगरों को छोड़कर वे पैदल ही अपने गांव की ओर चल दिए हैं। न खाने की व्यवस्था, न रात गुजारने का ठिकाना। एक अनजाने भय के साये में सब अपने गांवों की ओर चलते चले जा रहे हैं। कई जगहों पर सब्जी मंडियों से लेकर किराने की दुकानों पर काफी भीड़ देखने को मिली। इसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस लगाई गई है। गाजियाबाद में यूपी गेट बार्डर पर शनिवार को उत्तर प्रदेश जाने वालों की भीड़ लग गई। यहां से यूपी सरकार ने बसों का इंतजाम कर इन लोगों घर रवाना करवाया। कई श्रमिक 3 दिन से पैदल चलकर शुक्रवार रात आगरा पहुंचे। इनमें से कुछ कानपुर के रहने वाले हैं। सभी श्रमिक आगरा पहुंचे। बताया कि पैदल घर जा रहे हैं, तकलीफ तो हो रही है, लेकिन रास्ते में खाने-पीने की व्यवस्था हो गई।
देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है। लॉकडाउन के चलते लोग घरों में कैद हैं। मजदूर घर जाने के लिए हजारों किमी का सफर पैदल तय कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार देर रात झांसी में देखने को मिला। यहां तकरीबन 35 मजदूर पैदल चले जा रहे थे। उन्हें बुंदेलखंड के अलग-अलग जनपदों तक पहुंचना है।
कोरोनावायरस को देखते हुए डीएम कौशलराज ने मंडियों में फुटकर व्यपारियों के जाने पर रोक लगा दी है। लाॅकडाउन के बावजूद कुछ मंडियों में लोकल लोगो की भारी भीड़ उमड़ी। इन दिनों बाजारों-मंडियों में नींबू सबसे महंगा बिक रहा है। चंदुआ सट्टी में 4 रुपए, वहीं ठेले वाले मोहल्लों-कालोनियों में 8 से 10 रुपए का एक नींबू बेच रहे है। मंडी विक्रेता बता रहे है कि नींबू में विटामिन सी और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, इसलिए ज्यादा मांग है।

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