लाक डाउन का जमकर उड़ा मखौल, दौड़ी बाइक व कारें – छोटे दुकानदारों को ऊंचे दामों में माल पहुंचा रहे बड़े कारोबारी

न्यूज वाणी ब्यूरो
फतेहपुर। नोवेल कोरोना वायरस से आमजन को संक्रमित होने से बचाने एवं एक-दूसरे तक वायरस को रोकने की खातिर प्रधानमंत्री ने देश में 14 अपै्रल तक लाक डाउन का फरमान जारी कर लोगों को घरों में ही कैद रहने तथा लक्ष्मण रेखा को न लाघने की जो अपील 24 मार्च को की थी। वह जिले में पांचवे दिन भी देखने को नही मिली। लोग दिन भर मुख्य सडकों पर बाइकों व कारों से जहां निकलते रहे वहीं साइकिल व पैदल भी लोग चहल कदमी करते देखे गये। चैराहों पर तैनात नाम मात्र के जवान आने-जाने वालों को रोकने की कोशिश नही कर रहे हैं। अधिकारी भी सिर्फ समय निकालकर खानापूरी के लिए गाडियों के काफिले के साथ निकलते हुए देखे जा सकते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री की कोशिशों को झटका लग रहा है। उधर लाक डाउन के दौरान आम जनमानस को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रचारित सुविधाओं का लाभ कहीं भी देखने को नही मिल रहा है। लाक डाउन का बडे कारोबारी जमकर फायदा उठा रहे हैं। ऊंचे दामों पर छोटे दुकानदारों को रोजमर्रा के इस्तेमाल की सामग्री बेंच रहे हैं। छोटे दुकानदार गलियों में अपनी दुकानों के जरिए लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर रहे हैं। लेकिन महंगे दाम को महंगे में ही बेंचने का रोना ग्राहकों से बताते हैं। जिले में लाक डाउन का अनुपालन पूरी तौर पर पहले दिन से ही करा पाने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। पांचवे दिन रविवार को भी पहले जैसी अफरा-तफरी देखने को मिली। सुबह से ही लोगों की चहल कदमी गलियों से निकलकर मुख्य मार्गों पर शुरू हो जाती है। पैदल चलने वालों के अलावा बाइक व कार में फर्राटें भरते हुए ड्यूटी करने वाले जवानों के सामने से निकल रही हैं। लेकिन इक्का-दुक्का की संख्या में तैनात यह जवान किसी को रोकने का साहस नही जुटा पा रहे हैं। जबकि लाक डाउन की अवधि में आवश्यक सेवाओं के साथ-साथ बचाव कार्य में लगे सरकारी अमले सहित इलेक्ट्रानिक व प्रिन्ट मीडिया को आने-जाने की छूट प्रदान की गयी है। प्रशासन की अनदेखी के चलते जिले में लाक डाउन मजाक बनकर रह गया है। आला अफसर अपने अधीनस्थों संग अपनी सुविधा के मुताबिक सडकों पर निकल पडते हैं। लेकिन इनकी आंखों के सामने से आवागमन करने वालों पर निगाहें नही पडतीं। पूरे लाक डाउन के दौरान सडकों पर चलने वाले लोगों पर बडे अधिकारियों ने रोक कर पूंछतांछ करना भी मुनासिब नही समझा। जबकि निचले स्तर के कर्मचारी कभी-कभार लोगों को रोककर उनके आवागमन का कारण पूंछते हैं। अब तक अन्य शहरों की भांति अपने जिले में कठोर सख्ती न बरते जाने से लोग लाक डाउन को हल्के में ले रहे हैं। लाक डाउन को लेकर जहां बडे कारोबारियों ने रूपया कमाना ही अपना मकसद बना लिया है। वहीं प्रशासन की अनदेखी के चलते इनके हौसले भी बुलन्द हैं। तमाम बडे दुकानदार पांच दिन पहले निर्धारित रेट से लगभग डेढ गुना अधिक दर पर लोगों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं। अधिक रूपया लेने के बावजूद ऐसे दुकानदार ग्राहक को यह बताने में नही चूक रहे कि संसाधनों पर पाबंदी के चलते महानगरों से माल नही आ पा रहा है। उधर छोटे दुकानदारों का कहना है कि अगर वह गली-कूचों में स्थित अपनी दुकानों से कुछ बढे हुए दर पर जरूरतमंदों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं तो उन्हे भी बढे दामों पर खरीददारी करनी पड रही है।

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