क्या हरिद्वार से गुजरात भेजे गये 1800 लोगों का कराया गया कोरोना टेस्ट: फैसल – चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों का होना चाहिए बहिष्कार

न्यूज वाणी ब्यूरो
रामपुर। सोशल एक्टिविस्ट फैसल खान लाला ने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में भी जो पत्रकार देश में नफरत का महौल बना रहे हैं वह कोरोना से ज्यादा खतरनाक है। जो पत्रकार इस समय भी हिंदू-मुस्लिम कर करे हैं वह देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं। उनको इस बात से कोई मतलब नही कि गुरबत में जी रहे वह करोड़ों परिवार अपना गुजरा कैसे कर रहे होंगें जो रोज कमाते और रोज खाते हैं। जमीर फरोश कुछ पत्रकारों का सारा फोकस निजामुद्दीन मरकज पर है जबकि मरकज ने लॉक डाउन के दौरान कई पत्र लिखकर जमात के लोगों को वापस भेजने की गुहार लगाई थी लेकिन उनको नजर अंदाज किया गया। हम जानते हैं कि तबलीग जमात के कुछ लोग कोरोना पोजिटिव आएं हैं। जिसमें से कुछ लोगों की मौत भी हुई है। वह बहुत दुःख और तकलीफ की बात है लेकिन उसको लेकर यह कहना कि तबलीग जमात के लोग आतंकवादी हैं कोरोना विस्फोटक हैं, देश को बर्बाद करना चाहते हैं बेहद शर्मनाक है। क्योंकि जमात के जो लोग भी कोरोना पीड़ित हैं वह किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से तो अपने घर गए नही होंगें और लॉक डाउन की वजह से वह मरकज से निकलकर अपने-अपने घरों या अस्पतालों में ही क्वारंटीन में होंगें तो कुछ पत्रकार जो दहशत का महौल बना रहे है कि मरकज की वजह से कोरोना फैलेगा वह सरा-सर गलत है। वहीं दूसरी तरफ एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में छपी एक खबर के मुताबिक 1800 लोगों को गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप से उत्तराखंड सरकार ने चुपके से रातों-रात लग्जरी बसें लगाकर उन्हें हरिद्वार से गुजरात के अहमदाबाद शहर भेजा है जबकि अहमदाबाद में उत्तराखंड के ऋषिकेश के मुकेश कुमार और उनके 12 साथी फसें हुए थे उनको उन्हीं खाली बसों से वापास नही बुलाया गया। किसी तरह उन लड़कों ने बस वाले से बात की तो बस वाले ने उन लड़कों से न सिर्फ 18000 रुपये लिये बल्कि उनको रात के अंधेरे में बीच रास्ते में हरयाणा के हाइवे पर जबरन उतार दिया जिस कारण आज वह लड़के वहीं किसी स्कूल में रहने को मजबूर हैं। फैसल लाला ने यह भी कहा कि जिस तरह मरकज के लोगों का कोरोना टेस्ट कराया गया है और बहुत से लोगों को आइसोलेशन में रखा है साथ ही तबलीग जमात के कई लोगों को टेस्ट कराने के लिए ढूंढा जा रहा है क्या उसी तरह उन 1800 लोगों का हरिद्वार से गुजराज भेजने से पहले कोरोना टेस्ट कराया गया था या नही? यदि नही कराया गया तो क्या अब कराया जाएगा? उत्तराखंड सरकार को जवाब देना होगा कि 1800 लोग किस-किस के संपर्क में आए थे। फैसल लाला ने कहा कि दरासल आनंद विहार में लाखों मजदूरों के इकट्ठा होने और मजबूरी में सैकड़ों मील का सफर पैदल तय करके अपने घरों को जाते कई मजदूरों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। इसी तरह बरेली में सैकड़ों मजदूरों और उनके बच्चों को बीच सड़क पर बिठाकर सेनिटाइजर से नहलाया गया, करोडों लोग जिंदा रहने के लिए दो वक्त के खाने को सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं सरकार उन्हें मदद पहुंचाने में नाकाम है सरकार की इन्हीं सब नाकामियों को छुपाने के लिए अर्णव गोस्वामी, रुबिका लियाकत, अंजना ओम कश्यप, सुधीर चैधरी जैसे कुछ पत्रकार लगातार देश में नफरत का जहर घोल रहे हैं, देश के लोगों का ध्यान भटका कर उनके बीच नफरत और दहशत का ऐसा महौल बना रहे हैं कि लोग आम खांसी, नजला और जुकाम भी बताते हुए डर रहे हैं ऐसे पत्रकारों का बहिष्कार होना चाहिए।

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