वॉशिंगटन- दुनिया भर में कोरोना की वजह से डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। लेकिन, अन्य बीमारियां भी लोगों की जान ले रही हैं। हालांकि, कोरोना संकट की वजह से इस पर लोगों का ध्यान थोड़ा कम है। आंकड़ों की मानें, तो इस साल के महज 100 दिन में करीब 49 लाख लोग दिल की बीमारी की वजह से जान गंवा चुके हैं जबकि सालाना आंकड़े 2 करोड़ हैं। अल्कोहल से 8 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, जो एड्स से हुईं मौतों की तुलना में करीब 3 गुना हैं। यह आंकड़े डब्ल्यूएचओ, द वर्ल्डकाउंट के मुताबिक हैं। इस साल दो लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सालाना स्तर पर यह आंकड़ा औसतन करीब 8 लाख होता है।दुनियाभर में कोरोना के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन पर डॉक्टर्स, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ मोर्चा संभाले हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में कई भारतीय मूल के डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ दिन-रात जुटे हैं। कई डॉक्टर इस जंग में जिंदगी कुर्बान कर चुके हैं। ऐसी ही एक डॉक्टर थीं माधवी अया, कोरोना संक्रमित के इलाज के दौरान चपेट में आईं डॉ. माधवी का न्यूयॉर्क के अस्पताल में पिछले सप्ताह निधन हो गया। इसी तरह कई भारतीय डॉक्टर्स की जान गई है तथा कई गंभीर रूप से बीमार हैं। संक्रमितों में ज्यादा भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी से हैं।डॉक्टर रजत गुप्ता (परिवर्तित नाम) न्यूजर्सी में कोरोना मरीज की जांच कर रहे थे। तभी उसने डॉक्टर गुप्ता के चेहरे पर उल्टी कर दी। इसके बाद डॉक्टर गुप्ता भी संक्रमित पाए गए। उन्हें बचाया नहीं जा सका। भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सकों के संघ (एएपीआई) के सचिव रवि कोहली ने कहा कि कम से कम 10 डॉक्टर गंभीर हैं। किडनी रोग विशेषज्ञ प्रिया खन्ना (43) का हाल में न्यूजर्सी में निधन हो गया। उनके सर्जन पिता सत्येंद्र खन्ना (78) भी संक्रमित हैं। एएपीआई की वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अनुपमा गोतीमुकुला ने कहा, ‘भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर्स असल नायक हैं। इस खतरनाक दौर में भी ये जुटे हैं।’ उन्होंने बताया कि संस्था प्रमुख डॉक्टर अजय लोढा भी कोरोना के कारण आईसीयू में हैं।