नागपुर-रविवार को देश के संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रबुद्ध वर्ग को संबोधित करते हुए कहा कि भड़काने वालों की कमी नहीं है। इसका लाभ लेने वाली ‘ताकतें’ भी हैं। यदि कोई भय से या क्रोध के वश में आकर कुछ गलत कर देता है तो पूरे समुदाय (मुस्लिम समुदाय) से दूरी बनाना ठीक नहीं है। संघ प्रमुख ने देशवासियों से ऐसी ‘ताकतों’ से सतर्क रहने की अपील की। संघ प्रमुख ने कहा कि सभी लोगों को घर में रहकर ही यह जंग जीतनी है। सभी अपने घर में रहें और भगवान से प्रार्थना करें। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा काम करना होगा जिससे जरूरतमंद लोगों के पास मदद पहुंचे। मसला हमारे देश का है इसलिए हमारी भावना सहयोग की रहेगी… विरोध की नहीं। जिन्हें राजनीति करनी है वो करते रहें। संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में तब्लीगी जमात की घटना की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि यदि कोई भय से या क्रोध के वश में आकर कुछ गलत कर देता है तो पूरे समुदाय को लपेटकर उससे दूरी बनाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों को उकसाते हैं और इसका फायदा उठाते हैं। उकसाना क्रोध को जन्म देता है और क्रोध गलतफहमी पैदा करता है। धीरे धीरे यह गलतफहमी चरमपंथी कृत्यों को जन्म देने लगती है। हम जानते हैं कि ऐसी ताकते हैं जो इससे लाभान्वित होती हैं। वे ताकतें कोशिशें कर रही हैं। ऐसे में हमें सजग रहने की जरूरत है। भागवत ने भारत तेरे टुकड़े होंगे… कहने वालों से सावधान रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमारे मन में प्रतिक्रिया के रूप में कोई क्रोध नहीं होना चाहिए। भारत में सभी लोग भारत माता की संतान हैं। हम सभी भाई-भाई हैं। समाज के प्रमुख लोगों को यह बात देशवासियों को बताने की जरूरत है। समाज का सर्वांगीण विकास ही हमारी प्रतिज्ञा है। जब तक यह काम पूरा नहीं होता तब तक हम सभी को सेवा के काम में लगे रहना होगा। हमें बिना भेदभाव के सभी के लिए सेवाकार्य करते रहना है। इस सेवाकार्य में अपने पराए का भेद नहीं करना है। सभी अपने हैं और सभी की सेवा हमारा कर्तव्य है।