नई दिल्ली । पर्यावरण संरक्षण के लिए एकत्रित फंड के दूसरे मदों मे इस्तेमाल करने पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका हमें मूर्ख बना रही है। एकत्रित फंड के प्रति राज्य सरकारों के रवैये पर नाखुशी जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्होंने कार्यपालिका पर भरोसा किया लेकिन उसने कुछ नहीं किया। अधिकारी काम नहीं करते। जब कोर्ट कुछ कहता है तो कहा जाता है कि अदालत सीमा लांघ रही है।
ये तल्ख टिप्पणियां न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने वायु प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान कीं। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कम्पन्सेटरी अफारेस्टेशन फंड (जिसे कैम्पा फंड कहा जाता है), ग्रीन सेस जिसे ईसीसी (इन्वायरमेंटर कंसरवेशन सेस) आदि एकत्रित होते हैं जिसे पर्यावरण संरक्षण के लिए एकत्र किया जाता है।
मंगलवार को इन फंडों के दूसरे मदों में खर्च किये जाने पर कोर्ट नाराज हुआ। पीठ ने कहा कि ये पैसा पर्यावरण संरक्षण और जनउद्देश्य मे खर्च होना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोर्ट ने कार्यपालिका पर भरोसा किया। कमेटियां बनाईं उन्हें शक्तियां दीं। फंड एकत्रित हुआ लेकिन अधिकारी कुछ करना ही नहीं चाहते। पैसा दूसरे मद में खर्च हो रहा है। इस पर केन्द्र सरकार की ओर से पेश एएसजी नंदकरणी ने कहा कि कोर्ट बताए कि पैसा कहां खर्च किया जाए और कहां खर्च न किया जाए। इस दलील पर पीठ और नाराज हुई। कहा कि ये कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट कोई पुलिस नहीं है जो कि यह कह कर पकड़े कि तुमने नियम तोड़ा है। स्थिति बहुत निराशाजनक है। जस्टिस लोकुर ने कहा कि कार्यपालिका हमें मूर्ख बना रही है। एक तरफ कोर्ट से कहा जाता है कि वह बताए कि क्या किया जाए और जब कोर्ट कुछ कहता है तो कहा जाता है कि अदालत सीमा अतिक्रमण कर रही है। पीठ ने केन्द्रीय पर्यावरण सचिव से कहा कि वे सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का आंकड़ा एकत्र करें जिसमें ये बताया जाए कि इस मद मे कुल कितना फंड एकत्रित हुआ है और उसका किस मद मे कैसे उपयोग किया जाएगा।
एक लाख करोड़ के फंड की बात
इससे पहले कोर्ट ने न्यायमित्र एडीएन राव से जब इस बारे मे एकत्रित ब्योरा मांगा तो उन्होंने कहा कि अभी सारे राज्यों का ब्योरा नहीं मिला है। मौजूद ब्योरे के मुताबिक कैम्पा फंड के 11000 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं। बाकी के 50000 करोड़ खर्च करने पर कोर्ट की रोक है। राव ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस फंड में करीब 70-75 लाख करोड़ होगा। इस पर पीठ के दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि उड़ीसा खनन मामले में भी करीब 25000 करोड़ का फंड एकत्रित है ऐसे में कुल करीब एक लाख करोड़ रुपये इस फंड में एकत्रित हैं।
उड़ीसा, मेघालय के मुख्य सचिव तलब
इससे पहले उड़ीसा और मेघालय के हलफनामे देख कर कोर्ट की नाराजगी शुरू हुई। उड़ीसा ने कहा था कि कैम्पा फंड मे एकत्रित रकम से सड़कें बनीं, इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ, एक करोड़ बस स्टैंड पर खर्च हुए। कालेज की साइंस लैब बनी। इस कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये काम तो सरकार और स्थानीय निकायों का है इसके लिए अलग से बजट होता है। पर्यावरण संरक्षण और जन कल्याण का पैसा सरकार इस पर कैसे खर्च कर सकती है। मेघालय ने कहा कि उसने पैसा बैंक मे जमा कर रखा है। कोर्ट ने कहा कि पैसा जिस काम के लिए है उसमें क्यों नहीं खर्च हुआ। नाराज कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को अगली तारीख 9 मई को अदालत में तलब किया है।
दिल्ली में जुटाए 1301
अदालत को यह भी बताया गया कि ईसीसी के तहत दिल्ली में 1301 करोड़ रुपये एकत्रित किये गये हैं। इसके अलावा 70.5 करोड़ और जुटाए गए हैं जो केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास सुरक्षित हैं।