जरूरतमंद मजदूरों का किराया कांग्रेस देगी;सोनिया गांधी,सरकार ने विदेश में फंसे लोगों को लाने का पैसा नहीं लिया तो अब भेदभाव क्यों?
नई दिल्ली- सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि जरूरतमंद कामगारों और प्रवासी मजदूरों के रेल किराए की जिम्मेदारी संबंधित प्रदेश की कांग्रेस कमेटी उठाएगी। सोनिया का कहना कि केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय से कई बार यह मांग की गई कि लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का किराया नहीं लिया जाए, लेकिन कांग्रेस की बात अनसुनी कर दी गई।
1947 के बंटवारे के बाद पहली बार मजदूरों पर इतना बड़ा संकट: सोनिया
सोनिया ने कहा है कि मजदूर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, उनकी मेहनत और त्याग देश का आधार है। 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार ऐसा संकट देखा है कि हजारों मजदूर सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। जबकि उनके पास पैसा, खाने-पीने का सामान और दवा तक के इंतजाम नहीं हैं।
‘संकट की घड़ी में मजदूरों से किराया वसूलना गलत’
सोनिया ने सवाल उठाया कि जब विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने का किराया नहीं लिया गया तो फिर प्रवासी मजदूरों के लिए ऐसी विनम्रता क्यों नहीं दिखाई जा सकती? सोनिया का कहना है कि जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपए ट्रांसपोर्ट और खाने पर खर्च कर सकते हैं, रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपए दे सकता है तो फिर प्रवासियों को फ्री रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते? यह परेशान करने वाली बात है कि संकट की घड़ी में रेलवे प्रवासियों से किराया वसूल रहा है।
उद्धव ठाकरे ने कहा- केंद्र मजदूरों से किराया नहीं ले
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार से अपील की है कि घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों से किराया नहीं लिया जाए। अलग-अलग राज्यों ने करीब 5 लाख मजदूरों को 40 दिन तक रहने-खाने के इंतजाम किए। अब वे घर जाना चाहते हैं। उनके पास इनकम का कोई सोर्स नहीं है। इन हालातों में उनसे किराया नहीं लिया जाना चाहिए।
रेलवे 50 रुपए ज्यादा ले रहा: रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से घर जा रहे मजदूरों से 50 रुपए ज्यादा किराया लिया जा रहा है। शनिवार को भिवंडी से गोरखपुर तक चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में हर यात्री के 800 रुपए लिए गए जबकि वास्तविक किराया 745 रुपए ही था।
पुरी से सूरत तक का किराया 710 रुपए लिया गया। आगरा कैंट से अहमदाबाद के 250 रुपए वसूले गए। नासिक से भोपाल तक का किराया 250 रुपए लिया गया।
बताया जा रहा है कि किराए के अलावा 30 रुपए सुपर फास्ट चार्ज और 20 रुपए अतिरिक्त चार्ज लिया जा रहा है।
मजदूरों से किराया वसूलने पर रेलवे की ओर से कोई सफाई नहीं आई है। अधिकारियों ने इतना कहा था कि राज्यों को किराया देने में कोई आपत्ति नहीं है, झारखंड समेत कुछ राज्य तो एडवांस पेमेंट कर चुके हैं। गुजरात ने एक एनजीओ को किराया देने के लिए तैयार किया है।
लॉकडाउन का तीसरा फेज 17 मई तक रहेगा
कोरोना का संक्रमण फैलने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च से लॉकडाउन के पहले फेज का ऐलान किया था। बाद में इसे दो बार बढ़ाया गया। तीसरा फेज आज से शुरू हो गया है जो 17 मई तक रहेगा। हालांकि, इस बार ऑरेंज और ग्रीन जोन में कई तरह की छूट दी गई हैं। देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों को स्पेशल ट्रेनों से उनके घर पहुंचाया जा रहा है। रेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे जिन मजदूरों को भेज रहे हैं उनसे टिकट का किराया लेकर मंत्रालय को दिया जाए।
कई लोग पैदल और साइकिल से हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर रहे
लॉकडाउन के पहले फेज से ही ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। प्रवासी मजदूर हजारों किलोमीटर का सफर पैदल या फिर साइकिल से तय कर एक से दूसरे राज्य जा रहे हैं। इस दौरान कुछ मजदूरों की मौत भी घटनाएं भी हुई हैं।