यात्रा के लिए 45 करोड़ से अधिक की टिकटें बुक स्पेशल ट्रेनों में, बिहार के लिए 100 से ज्यादा ट्रेनें

नई दिल्ली- गुरुवार को रेलवे ने बताया कि अगले सात दिनों में यात्रा के लिए 45.30 करोड़ रुपये की टिकटें बुक कराई गई हैं. उसने बताया कि बुधवार को स्पेशल ट्रेनों में 20,149 यात्रियों ने सफर किया और गुरुवार को चलने वाली 18 विशेष ट्रेनों में यात्रा करने का 25,737 यात्रियों का कार्यक्रम है. इन टिकटों से अभी तक कुल 45,30,09,675 रुपये का राजस्व एकत्रित किया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने दिल्ली और देश के प्रमुख शहरों के बीच 12 मई से अपनी विशेष यात्री सेवाएं फिर से शुरू की थीं. बुधवार को नौ ट्रेनों में 9,000 से अधिक यात्री राष्ट्रीय राजधानी से रवाना हुए. जानकारी के अनुसार, बुधवार को दिल्ली से रवाना होने वाली नौ ट्रेनों में हावड़ा, जम्मू, तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, डिब्रूगढ़, मुंबई, रांची तथा अहमदाबाद के लिए रवाना होने वाली आठ ट्रेनों में क्षमता से अधिक बुकिंग हुई. आंकड़ों से पता चलता है कि केवल बिहार की राजधानी पटना जाने वाली ट्रेन में क्षमता से 87 फीसदी की बुकिंग हुई.

बुधवार को रवाना होने वाली नौ ट्रेनों में से हावड़ा-नयी दिल्ली ट्रेन में 1,377 यात्रियों ने बुकिंग कराई जो ट्रेन की क्षमता का 122 फीसदी है. नयी दिल्ली-तिरुवनंतपुरम विशेष ट्रेन में 133 फीसदी और नयी दिल्ली-चेन्नई ट्रेन में 150 फीसदी बुकिंग कराई गई. इसी तरह नयी दिल्ली-जम्मू तवी विशेष ट्रेन 109 फीसदी क्षमता के साथ चली, नयी दिल्ली-रांची ट्रेन में 115 प्रतिशत बुकिंग कराई गई. नयी दिल्ली-मुंबई सेंट्रल ट्रेन में 117 फीसदी, नयी दिल्ली-अहमदाबाद ट्रेन में 102 फीसदी और नयी दिल्ली-डिब्रूगढ़ ट्रेन में 133 फीसदी बुकिंग कराई गई.

बिहार के लिए 100 से ज्यादा ट्रेनेंएक अधिकारी ने बताया, ‘क्षमता से अधिक बुकिंग का यह मतलब नहीं है कि यात्री गलियारों में खड़े रहे. इसका बस यह मतलब है कि ट्रेन के चलते वक्त लोगों की आवाजाही रही. लोग बीच-बीच में स्टेशनों पर चढ़े और उतरे तथा कई लोगों ने बुकिंग कराई.’ दिल्ली से बुधवार को रवाना होने वाली केवल एक ट्रेन अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं चली और वह थी नई दिल्ली-राजेंद्र नगर (पटना) ट्रेन. इसमें 1,239 यात्रियों के सफर करने की क्षमता थी लेकिन वह केवल 1,077 यात्रियों को लेकर गई. अधिकारियों ने बताया कि इस ट्रेन में क्षमता से कम बुकिंग होने के पीछे यह वजह हो सकती है कि बिहार के लिए पहले से ही 100 से अधिक ट्रेनें हैं जो एक मई से मजदूरों को उनके गंतव्य लेकर गई हैं.

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