वाशिंगटन । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लैगार्ड ने कहा है कि उन्हें भारत में चुनावी वर्ष में तेज आर्थिक सुधारों की उम्मीद नहीं है। उन्होंने यहां अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों की वार्षिक बैठक के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही।
भारत में आर्थिक सुधारों पर पूछे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में नए आर्थिक सुधारों की उम्मीद नहीं है। अगले साल भारत में चुनाव होने वाले हैं। हालांकि आइएमएफ द्वारा सुझाए गए प्रमुख सुधारों को लागू किया गया। आइएमएफ ने जीएसटी, दिवालिया कानून जैसे कई सुधारों का सुझाव दिया था।
व्यापारिक टकराव से खतरा
लैगार्ड ने कहा है कि व्यापारिक टकराव बढ़ने और वित्तीय बाजार में उथल-पुथल से अगली कई तिमाहियों तक खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में चक्रीय सुधार के मजबूत संकेत हैं। लेकिन ये दिक्कतें मुश्किल पैदा कर सकती हैं। सभी देशों को मिलकर खुली व्यापार व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिए। नीति निर्धारकों को वित्तीय क्षेत्र की मजबूती, नीतियों में सुधार, ढांचागत सुधार लागू करने और सुशासन पर ध्यान देना चाहिए।
कर्ज घटाने के भारत के उपाय एकदम सही
वाशिंगटन। आइएमएफ ने कहा है कि भारत में कर्ज और जीडीपी का अनुपात ज्यादा है लेकिन उसने इसे घटाने के लिए सही नीतियां अपनाई हैं।
आइएमएफ के उप निदेशक (वित्तीय मामले) अब्देल सेन्हादजी ने कहा कि 2017 के दौरान भारत में सरकारी कर्ज और जीडीपी का अनुपात 70 फीसदी रहा। उन्होंने कहा कि भारत में कर्ज का स्तर तुलनात्मक रूप से ज्यादा है, लेकिन सही नीतियों के जरिये मध्यम अवधि में इसे कम करने की ठोस योजना बनाई जा रही है।