तोड़ा है भरोसा ।
बात में ना आना ।।
ना होता यकीन ।
चीन का हट जाना ।।
छल और धोखा ।
उसकी कूटनीति ।।
समझौतों से उसकी ।
रही कभी भी प्रीति ?
पुनः रहा उलझाय ।
कथनी करनी भिन्न ।।
सर पे है सवार ।
विस्तारवाद का जिन्न ।।
हट जाने की बातें ।
फैल गया संदेश ।।
मुल्क पर ये क्रूर ।
बेअसर उपदेश ।।
कृष्णेन्द्र राय