जिंदा नवजात को नर्स ने मृत बता दिया: परिजन दफनाते उससे पहले फूटी रूलाई, समय पर उपचार न मिलने से नवजात की मौत..!
उदयपुर,(AJENCY)। उदयपुर के गोगुंदा में पड़ावली कलां के आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में नर्सिंग स्टाफ की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। आरोप है कि नवजात की जिंदगी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही और कुप्रबंधन से चली गयी। पहले तो प्रसूता की डिलीवरी डॉक्टर ने नहीं, बल्कि नर्सिंग स्टाफ ने ही कर दी, फिर जिंदा नवजात को मरा हुआ बता नर्सिंग स्टाफ ने उसे पॉलिथीन में पैक कर परिजनों को सुपुर्द कर दिया। परिजन उसे दफनाते इससे पहले नवजात की रूलाई फूटी तो वे तत्काल उसे हॉस्पिटल लेकर दौड़े। इसके बावजूद पीएचसी में चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ ने नवजात पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में समय रहते सही उपचार नहीं मिलने पर नवजात की मौत हो गयी।
लापरवाही का यह आलम पड़ावली कलां के उस पीएचसी के हैं, जिसे आदर्श घोषित किया हुआ है। जब आदर्श पीएचसी के यह हालात हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य पीएचसी के हालात पर सरकार को एक बार विचार करना चाहिए। मामले का खुलासा होने पर अब पीएचसी के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ लीपापोती करने में जुटे हुए हैं।
दर्ज हो सकता है आपराधिक मामला
मामले में ब्लॉक सीएमएचओ डॉक्टर ओपी रायपुरिया ने बताया कि मामले की जांच के लिए मैं खुद और क्षेत्रीय सीएमएचओ पीएचसी जाएंगे। मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
वकील मनीष शर्मा ने बताया कि इसमें नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ लापरवाही बरतने इससे बच्ची की मौत होने के आरोप में आईपीसी की धारा 304 ए के तहत मामला दर्ज हो सकता है। यह घोर लापरवाही का मामला है। इसमें अधिकतम 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।
गोगुंदा निवासी ललिता नाम की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर आज गुरूवार सुबह 6.30 बजे ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एंबुलेंस से लाया गया था। पीएचसी में भर्ती होने के करीब आधा-एक घंटे बाद ही महिला का प्रसव हो गया और उसने एक बच्ची को जन्म दिया। यह प्री मैच्योर बेबी था, क्यों कि डिलीवरी 7 महीने में हुई थी। महिला का प्रसव पीएचसी में किसी डॉक्टर ने नहीं, बल्कि नर्सिंग स्टाफ ने ही करा दिया था।
महिला के प्रसव के समय परिजनों से कोई डॉक्टर तो नहीं मिले, हॉस्पिटल में गंगा नाम की नर्स ही थी। कुछ देर बाद नर्स बच्ची को एक पॉलिथीन में लेकर आयीं और प्रसूता की सास को पॉलीथिन देकर कहा कि यह बच्ची मरी पैदा हुई है।
प्रसूता का पति और सास बच्ची को मरा हुआ समझ उस नवजात को पॉलिथीन सहित घर लेकर आए और दफनाने की तैयारी की। दफनाने के लिए परिजनों ने गड्ढा तक खोद लिया था, तभी अचानक बच्ची की रूलाई फूट पड़ी। बच्ची की रूलाई सुनकर एक बार तो उसके पिता के होश उड़ गए कि नर्स ने उसे जिंदा बच्ची दफनाने के लिए दे दी। परिजन बच्ची को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे और उसे भर्ती करवाया। लेकिन इसके बावजूद पीएचसी में उसे उचित उपचार नहीं मिला और बच्ची की कुछ देर बाद मौत हो गयी।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि पीएचसी में चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही और कुप्रबंधन के चलते उनकी बच्ची की मौत हुई है। उसे समय रहते सही उपचार मिला होता तो शायद वह जीवित होती।ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. ओपी रायपुरिया से सवाल-जवाब
सवाल: पीएचसी में महिला की डिलीवरी डॉक्टर ने क्यों नहीं करवायी, नर्सिंग स्टाफ ने अकेले ही क्यों डिलीवरी कर दी..?
जवाब: डॉक्टर वहीं कैंपस में ही रहते हैं। लेकिन नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें महिला के प्रसव के लिए सूचना नहीं दी। इससे डॉक्टर डिलीवरी के समय नहीं पहुंचे। नर्सिंग स्टाफ ने ही डिलीवरी करवा दी।
यहां सवाल यह भी उठता है कि जब नर्सिंग स्टाफ बिना डॉक्टर को सूचित किए डिलीवरी करवा देता है, तो डॉक्टर ने इसके खिलाफ कभी कोई शिकायत क्यों नहीं की। क्या कोई नर्सिंग स्टाफ डॉक्टर की रजामंदी के बगैर उसकी अनुपस्थिति में खुद महिला की डिलीवरी करवाएगा..?
सवाल : डॉक्टर को मामले की जानकारी कब मिली..?
जवाब: डॉक्टर जब सुबह 8 बजे ड्यूटी पर लौटे तक उन्हें मामले की जानकारी मिली। इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर आए, तो डॉक्टर ने बच्ची को चेक किया, उस वक्त वह रो रही थी। महिला का प्रसव 7 माह में ही हो गया था। नवजात की हालत नाजुक थी। डॉक्टर ने मुझे इसकी जानकारी दी, बच्ची की नाजुक हालत के चलते मैंने तत्काल उसे उदयपुर रैफर करने के निर्देषश दिए। लेकिन जब तक एम्बुलेंस आयी, बच्ची की मौत हो गयी थी।