बर्लिन । फ्रांस और जर्मनी ने कहा है कि ईरान परमाणु समझौते में अमेरिका रहे या नहीं, इसकी परवाह किए बिना वे इस पर कायम रहेंगे। ब्रिटेन ने भी ईरान पर नियंत्रण के लिए अमेरिका से परमाणु समझौते में शामिल रहने की अपील की है। उधर, ईरान ने कहा है कि मध्य पूर्व में उसके प्रभाव को सीमित करने के अमेरिका के दबाव का जोरदार विरोध करेंगे। गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया है कि 12 मई तक परमाणु समझौते की खामियां दूर नहीं की गईं, तो अमेरिका समझौते अलग हो जाएगा।
-ब्रिटेन ने भी अमेरिका से समझौते में बने रहने की अपील की
-ईरान ने कहा, अमेरिकी दबाव का जोरदार विरोध करेंगे
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-वेस ली द्रियां ने कहा कि ईरान परमाणु समझौते में शामिल तीन यूरोपीय देश फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी इसे कायम रखने को प्रतिबद्ध हैं। उनके जर्मन समकक्ष हीको मास ने भी कहा कि जर्मनी समझौते में बने रहना चाहता है। यह समझौता दुनिया को सुरक्षित बनाता है और इसके बिना दुनिया कम सुरक्षित होगी।
इस बीच ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्रंप से समझौता खत्म नहीं करने की अपील की। न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे लेख में उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर समझौते में कमियां हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि उन्हें दूर किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के तहत नियंत्रण से ईरान के आक्रामक क्षेत्रीय व्यवहार से निपटने में भी मदद मिलेगी। जॉनसन रविवार से दो दिवसीय अमेरिका यात्रा पर हैं।
उधर, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि हम परमाणु बम नहीं बना रहे हैं और न ही बनाएंगे। अगर वे ईरान को कमजोर और उसके क्षेत्रीय या वैश्विक प्रभाव को सीमित करना चाहते हैं, तो हम इसका जोरदार विरोध करेंगे।
रूहानी ने कहा कि हम हर संभव परिदृश्य के लिए तैयारी कर रहे हैं। चाहे अमेरिका के बिना समझौता रहे या खत्म हो जाए। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के बिना समझौते से जो हम चाहते हैं, वह मिलेगा तो ईरान समझौते को लेकर प्रतिबद्ध रहेगा। अन्यथा ईरान अपने रास्ते चलेगा।’