नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट रहेगी, तभी वकीलों का वजूद भी रह सकेगा। वकीलों को चाहिए कि वे जजों की सार्वजनिक आलोचना से बाज आएं। ऐसा करके वे केवल न्यायिक संस्था की साख को खत्म कर रहे हैं।
जस्टिस यूयू ललित व अरुण मिश्रा की बेंच ने केरल सरकार के अध्यादेश को रद करने के मामले में यह तल्ख टिप्पणी की। अदालत ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले पर लाए गए राज्य सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि वकील टीवी चैनलों पर कोर्ट के आदेश को गलत ठहराते दिख रहे हैं। लगता नहीं कि वे न्यायिक संस्था की परवाह भी कर रहे हैं।
बेंच ने जब यह टिप्पणी की तब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह सभी कोर्ट रूम में थे। बेंच के तेवर जब तीखे हुए जब वकीलों ने इस केस की पैरवी के दौरान अपनी आवाज तेज की।