नई दिल्ली । वर्षो के विचार-विमर्श के बाद सेना ने 15 हजार करोड़ रुपये की बड़ी परियोजना को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत सेना के अहम हथियारों और टैंकों के लिए स्वेदशी गोला-बारूद निर्मित किया जाएगा। इससे न सिर्फ आयात में होने वाले विलंब से छुटकारा मिल जाएगा, बल्कि गोला-बारूद के घटते भंडार की समस्या का भी निदान हो जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में 11 निजी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। परियोजना के कार्यान्वयन पर सेना और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी स्वयं नजर रखेंगे। इसका तात्कालिक उद्देश्य सभी अहम हथियारों के लिए इतना गोला-बारूद सुनिश्चित करना है ताकि सेना 30 दिन की लड़ाई में सक्षम हो सके। जबकि दीर्घकालिक उद्देश्य आयात पर निर्भरता घटाना है।
शुरुआत में विभिन्न प्रकार के रॉकेटों, वायु प्रतिरक्षा प्रणाली, हल्की तोपों, युद्धक वाहनों, ग्रेनेड लांचरों और अन्य युद्धक हथियारों के लिए निश्चित समयसीमा के तहत गोला-बारूद का उत्पादन किया जाएगा। बाद में, कार्यक्रम कार्यान्वयन के पहले चरण के परिणाम के आधार पर उत्पादन लक्ष्यों में संशोधन किया जाएगा। सूत्रों ने संकेत दिया कि इस परियोजना की व्यापक रूपरेखा पर पिछले महीने सेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन में विचार-विमर्श किया गया था।
मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 152 प्रकार के गोला-बारूद में से सिर्फ 61 प्रकार के गोला-बारूद का भंडार ही उपलब्ध है और यह भी सिर्फ 10 दिनों के युद्ध के लिए पर्याप्त होगा। जबकि स्थापित सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत गोला-बारूद का भंडार इतना होना चाहिए जो एक महीने के युद्ध के लिए पर्याप्त हो।