इस्लामाबाद । पाकिस्तान में आतंकवाद निरोधी अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले की सुनवाई में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों को तलब किया है। साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे मामले के 27 भारतीय गवाहों के बारे में उचित जवाब पेश करें, जिससे मामले की सुनवाई को पूरा किया जा सके। अदालत का यह रुख पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के उस सार्वजनिक बयान के बाद सामने आया है जिसमें उन्होंने मुंबई हमले की सुनवाई के लंबित होने पर सवाल उठाया था।
– मामला जल्द पूरा करने के लिए गवाह तलब
मुंबई हमले में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकियों ने एक साथ कई स्थानों पर हमला कर 166 लोग मारे थे और दर्जनों घायल किए थे। इनमें से नौ हमलावरों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था जबकि हमलावर अजमल कसाब को मुंबई पुलिस ने जिंदा पकड़ लिया था। बाद में अदालती प्रक्रिया के जरिये कसाब को दोषी ठहराया गया था और उसे फांसी दे दी गई। पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक मानने से इन्कार कर दिया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान को मुंबई हमले के संबंध में 2009 में एफआइआर दर्ज करनी पड़ी और अब उस पर आतंकवाद निरोधी अदालत में सुनवाई चल रही है।
बुधवार को न्यायाधीश शाहरुख आरजूमंद की अदालत में डेरा गाजी खां के जिला पुलिस अधिकारी सोहेल हबीब ताजिक के बयान दर्ज हुए। अदालत ने फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एफआइए) के एडीशनल डायरेक्टर जनरल वाजिद जिया और एक अन्य अधिकारी जाहिद अख्तर के बयान दर्ज किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। इसी सिलसिले में दोनों के लिए समन जारी किए गए हैं।
मामले की 23 मई को फिर से सुनवाई होगी। मामले में अभी तक 68 लोगों की गवाही हो चुकी है। पाकिस्तानी एजेंसियों ने मामले में लश्कर के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी सहित आठ लोगों को आरोपी बनाया है।