कर्नाटक में सत्ता का संग्राम अब नए मोड़ पर पहुंच गया है. कर्नाटक में बहुमत साबित करने को लेकर सदन में चार बजे होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले ही कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है.अपने भाषण के दौरान येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन अवसरवादी है. दोनों ही पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े और अब साथ मिलकर सरकार बना रहे हैं. कर्नाटक की जनता ने हमें बहुत प्यार दिया. जिसका परिणाम है कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. मैंने अभी तक किसानों की मदद की है और आगे भी करता रहूंगा. मैंने अपना कर्तव्य पालन किया. मैंने किसानों और गरीबों की तकलीफ समझा है. मैंने सोचा था लोगों की पानी की समस्या पूरी करने के लिए छह नदियों को जोड़ने की योजना बनाई थी. जहां-जहां पैसे की जरूरत पड़ती है मैंने वहां पूरी मेहनत की है. यहां कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने सभी मदद की है. हमारे राज्य को एक बेहतर राज्य बनाने का सपना था. हमारे पास सब कुछ है अब ईमानदार नेताओं की जरूरत है. अब चुनाव के नतीजे आ गए हैं. मेरे सामने अग्निपरीक्षा खड़ी है. ये मेरे लिए नई नहीं है. एक बार सोचिए कि अगर हमारे पास 113 सीट होती तो राज्य का नख्शा ही बदल देते. बीजेपी राज्यतंत्र व्यवस्था पर भरोसा रखती है. मेरी जब तक सांस चलेगी मैं राज्य के लिए काम करूंगा.गौरतलब है कि सुबह प्रोटेम स्पीकर के तौर पर केजी बोपैया की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जेडीएस-कांग्रेस की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद यह तय हो गया था कि शाम चार बजे येदियुरप्पा सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा. हालांकि अब येदियुरप्पा ने इस्तीफा देकर पूरे माहौल को ही बदल दिया. बीएस येदियुरप्पा ने साल 2007 में भी ऐसा ही कदम उठाया था. उस समय भी उन्होंने शपथ लेने के सात दिन के बाद बहुमत साबित न कर पाने पर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उनकी छवि और बेहतर हुई थी. इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटों के साथ सफलता हासिल की थी. बता दें कि इस बार कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को 104, जेडीएस को 38 और कांग्रेस को 78 सीट हासिल हुई थी. कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान किया है.