दिल्ली। देश पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर आज नमन कर रहा है। राजीव गांधी ने देश को एक नई दिशा दी थी। वह देश के बेहद लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। आज अपने पिता को याद करते हुए राहुल गांधी ने ट्विट कर कहा है कि उन्होंने हमेशा सिखाया कि कभी किसी से नफरत नहीं करनी चाहिए। इस मौके पर उनकी समाधि वीर भूमि पर कांग्रेस के अध्यक्ष समेत कई दूसरे नेताओं ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं। राजीव गांधी देश की बेहद दमदार और प्रभावशाली शख्सियत थे। राजीव गांधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। इनका जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। राजीव गांधी जवाहर लाल नेहरू के प्रपौत्र और फिरोज गांधी व देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र थे। राजीव गांधी कांग्रेस पार्टी के अग्रणी महासचिव [1981 से] थे, और अपनी मां की हत्या के बाद देश के प्रधानमंत्री [1984-1989] बने।राजीव गांधी का विवाह सोनिया गांधी के साथ हुआ था। राजीव गांधी की दो संतानें पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी हैं। राजीव गांधी तथा उनके छोटे भाई संजय गांधी [1946-1980] की शिक्षा-दीक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में दाखिला लिया तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय [1965] से इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा किया। स्वदेश लौटने पर उन्होंने व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और 1968 से इंडियन एयरलाइंस में काम करने लगे।जब तक भाई संजय गांधी जीवित थे, राजीव गांधी राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय गांधी की 23 जून, 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आई। जून 1981 में वह लोकसभा उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए।राजीव गांधी सौम्य व्यक्तित्व वाले थे जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेते थे। 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां की हत्या के बाद राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और उन्हें कुछ दिन बाद कांग्रेस पार्टी का नेता चुन लिया गया।राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में श्रीलंका में शांति प्रयासों के लिए भारतीय सैन्य टुकड़ियों को भी वहां भेजा, लेकिन इसके नतीजे में वे खुद लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ऐलम [लिट्टे] के निशाने पर आ गए। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में उन्हें उस वक्त बम से उड़ा दिया गया था जब वो एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे थे। 21 मई 1991 को रात तकरीबन 10 बजकर 10 मिनट पर राजीव गांधी रैली स्थल पर पहुंचे। वे कार की अगली सीट पर बैठे थे और उन्होंने उतरते ही सबका अभिवादन किया।मंच की ओर बढ़ते हुए एक महिला आत्मघाती हमलावर धनु ने उन्हें माला पहनानी चाही, तो सब इंस्पेक्टर अनुसुइया ने उसे रोक दिया। हालांकि राजीव गांधी के कहने पर उसे माला पहनाने के लिए आने दिया गया। धनु ने उन्हें माला पहनाई और जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए नीचे झुकी, उसने अपने कमर से बंधे बम का बटन दबा दिया। एक जोरदार धमाका हुआ और फिर सबकुछ सुन्न हो गया। इस धमाके ने राजीव गांधी की जान ले ली। राजीव गांधी का हत्यारा प्रभाकरण ने अपनी मौत से पहले जो जख्म देश को दिया उसकी टीस आज तक है। राजीव गांधी जनता से जुड़ रहे थे। कई बार तो राजीव को जनता ऐसे हाथों हाथ लेती जिसकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। 15 मार्च 2009 को श्रीलंकाई सेना ने मल्लैतिवु के वानी क्षेत्र में लिट्टे के अंतिम गढ़ पर जोरदार हमला कर प्रभाकरण को मार गिराया था।