नई दिल्ली। 1998 के अपने पहले ही फीफा विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंचकर तीसरे स्थान पर रहने वाली क्रोएशियाई टीम कोच ज्लाटको डालिक के मार्गदर्शन में एक बार फिर अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी। वर्ष 1991 में युगोस्लाविया से स्वतंत्र होने के बाद क्रोएशिया 2010 को छोडक़र छह में पांच बार विश्व कप में अपनी जगह बना चुका है। फीफा की विश्व रैंकिंग में 18वें नंबर पर काबिज क्रोएशिया 1998 के बाद से एक बार से एक बार भी ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पाई है। 1998 में उसने नीदरलैंड्स को 2-1 से हराकर तीसरा स्थान हासिल किया था। 2002 और 2006 में वह 23वें और 22वें स्थान पर रही थी। ब्राजील में 2014 में क्रोएशिया 19वें स्थान पर रही थी।
टीम के हालिया प्रदर्शन पर अगर नजर डाली जाए तो उसने मार्च में हुए दोस्ताना मैच में पेरू को 2-0 से और मेक्सिको को 1-0 से मात दी है। क्रोएशिया ने विश्व कप क्वालीफाइंग मुकाबले में मिस्र को 4-1 से हराकर रूस में 14 जून से शुरू होने जा रहे विश्व कप का टिकट कटाया जहां उसे अर्जेंटीना, आइसलैंड और नाइजीरिया के साथ ग्रुप डी में रखा गया है जो उसके लिए ग्रुप ऑफ डेथ जैसा है। क्रोएशिया 26 मई से अपना अभ्यास शुरू करेगी और फिर विश्व कप शुरू होने से पहले वह ब्राजील और सेनेगल के साथ क्रमश: तीन और आठ जून को दोस्ताना मैच खेलेगी। टूर्नामेंट में क्रोएशिया 16 जून को नाइजीरिया के साथ मुकाबले से अपने अभियान की शुरूआत करेगी।
टीम को उसके बाद फिर 21 जून को अर्जेंटीना से और फिर 26 जून को आइसलैंड के खिलाफ मुकाबले में उतरना है। विश्व कप में क्रोएशिया की सबसे बड़ी ताकत उसकी मिडफील्ड है। स्पेनिश क्लब रियल मेड्रिड के लुका मोड्रिक और माटिओ कोवाचिक के अलावा टीम में बार्सिलोना के इवान रेकिटिक तथा एटलेटिको मेड्रिड के सिमे वसाल्जको मौजूद है। कोच डालिक पहले ही यह कह चुके हैं कि वेद्रन कोलुर्का और एलेक्जेंडर म्रिटोविक चोटिल हैं और उनकी योजना 4 जून को होने वाली टीम की अंतिम 23 सदस्यीय चयन के समय एक डिफेंडर को बाहर रखने की है।
उनकी प्राथमिकता स्ट्राइकर मारियो मांजुकिक को टीम में शामिल करने की है। मांजुकिक से टीम को बड़ी उम्मीदें होंगी, वह अपने देश के लिए 82 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 30 गोल कर चुके हैं। टीम को अपने व्यवहार में सुधार लाना होगा। ये व्यवहार खिलाडिय़ों के लिए नहीं है बल्कि स्थिति का कैसे मुकाबला करना है इसको लेकर है। 51 साल के कोच डालिक के अंदर अनुभव की कमी है जो दबाव में नर्वस दिखाई देने लगते हैं। इसके अलावा टीम का डिफेंस भी इस बार काफी कमजोर हैं। डेजान लोवरेन एवं वेद्रन कोलुर्का टीम में सबसे अनुभवी डिफेंडर हैं।