कानपुर। केंद्रीय कार्यशाला रावतपुर में उत्तर प्रदेश की पहली डीजल बस 1955 में निर्मित की गई थी। ये बस खराब होने के बाद 45 वर्षो तक कबाड़ में पड़ी रही, लेकिन इस बस को एक बार फिर तैयार कर क्षेत्रीय कार्यशाला फजलगंज में परिवहन ने विरासत के तौर पर संजो दिया है। वर्ष 1955 के पूर्व केंद्रीय कार्यशाला पेट्रोल की बस तैयार करता था, लेकिन अमेरिका की डाज कंपनी की चेसिस पर 1955 में कार्यशाला ने डीजल चालित प्रदेश की पहली बस तैयार की। इस बस में 22 यात्री बैठ सकते हैं और इसकी गति 30 किमी प्रति घंटा है।बताते हैं कि ये डीजल बस 1964 में खराब हुई तो फिर नहीं बन सकी और परिवहन अधिकारियों ने इसे कबाड़ में डाल दिया। तीन माह पूर्व कार्यशाला के कुछ कर्मियों ने बात ही बात में इस बस का जिक्र क्षेत्रीय कार्यशाला के तत्कालीन सेवा प्रबंधक रमेश कुमार से किया तो उन्होंने बस की स्थिति देखने के बाद इसे ठीक करने का फैसला लिया। इंसेट..75 हजार लागत में तैयार इस बस के कल पुर्जे ठीक करने में 75 हजार रुपये खर्च हुए और ये बस क्षेत्रीय कार्यशाला की विरासत में शुमार कर ली गई है और प्रदर्शनी के लिये लगा दिया गया है।केंद्रीय कार्यशाला रावतपुर में डीजल चालित पहली बस 1955 में तैयार हुई थी। जब वह खराब हो गई तो पिछले करीब 45 वर्षो से कबाड़ में पड़ी थी, जिसे ठीक करके विरासत में शामिल कर लिया गया है।–इं. रमेश कुमार, तत्कालीन सेवा प्रबंधक क्षेत्रीय कार्यशाला