आपको बताते चले कि अजमेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय में ही कोरोना महामारी की दूसरी लहर में 816 मरीजों की मौत हुई है। इसका खुलासा हुआ है जेएलएन में दाे माह में जिन लाेगाें की माैत हुई उनके परिजनों द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए किए गए आवेदनों से। कुल 816 परिजनों के आवेदन आए हैं। दूसरी लहर मार्च 2021 में आरंभ हाे गई थी और अस्पताल काे 17 अप्रैल काे सुपर काेविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था।यानी इस दाैरान जेएलएन में सिर्फ काेविड के मरीजों काे ही भर्ती किया गया। अभी भी यहां केवल काेराेना संक्रमित मरीजों काे ही भर्ती किया जा रहा है। यानी इस दाैरान जितनी भी मौतें हुईं, वे सभी काेराेना संक्रमित थीं। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि चिकित्सा महकमे ने अप्रैल और मई माह में पूरे जिले में मात्र 226 लाेगाें की ही मौत हाेना बताया है। इनमें अजमेर के उन निजी अस्पतालों में हुई मौताें का आंकड़ा शामिल नहीं है जिनमें काेविड का इलाज चल रहा था। जिस काेराेना संक्रमण ने अजमेरवासियों काे दहला दिया और लाेगाें की माैत पतझड़ के सूखे पत्तों की तरह हाे रही थी, उसमें आज भी इस रहस्य पर पर्दा पड़ा है कि आखिर काेराेना संक्रमण से जिले में कितने लाेगाें की माैत हुई।अजमेर में काेविड की दूसरी लहर अप्रैल की 12 तारीख से तेज हुई। मई में यह ग्राफ सबसे अधिक रहा। हमारी टीम ने जेएलएन के अप्रैल और मई माह आंकड़े खंगाले। अप्रैल माह में 319 लाेगाें की माैत हुई यानी प्रतिदिन औसतन 11 पॉजिटिव की माैत। मई माह में 497 संक्रमितों ने दम ताेड़ा। यानि राेजाना औसतन 17 की माैत। मई माह के शुरुआती 9 दिनों में ही 193 संक्रमितों की माैत हुई। विभाग प्रतिदिन इन आंकड़ाें पर पर्दा डालने का कार्य करता रहा। राेजाना 4 या 5 या अधिकतम 7 मौतें हाेना बताया गया। जेएलएन में बड़ी संख्या में संक्रमितों की मौतें हुई हैं, इसका बड़ा प्रमाण डेड बाॅडी किट या बैग हैं। अस्पताल प्रबंधन ने विभिन्न वार्डों काे अप्रैल में 910 बाॅडी किट दिए थे। इनमें संक्रमित शवाें काे पैक कर परिजनों या नगर निगम काे साैंपे गए। सूत्रों के मुताबिक अब वार्डों में 100 से भी कम बाॅडी किट रह गए हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि प्रमाण पत्र के लिए जितने आवेदन आए हैं लगभग उतने की बाॅडी किट काम में आ गए हैं।