टीबी के 3903 रोगियों की पहचान

फतेहपुर : क्षय रोग (टीबी) रोकथाम के लिए भले ही सेहत महकमे ने अनेक प्रबंध किए हैं। बावजूद इसके जिले में इसका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। अकेले वर्ष 2016 में 3213 रोगियों की पहचान की गयी है, जबकि मौजूदा वर्ष में अब करीब सात सौ रोगियों को जांच में पॉजिटिव पाया गया है। बढ़ते रोगियों की संख्या ने विभाग के चेहरे पर ¨चता की लकीरें खींच दी है।

टीबी के जीवाणु वायु द्वारा भी फैलते हैं। जब फेफड़ों की टीबी का रोगी खांसता या छींकता है तो वह माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबर कुलोसिस नाम के रोगाणु छोटे-छोटे कणों के रूप में वातारण में फेंकता है। बलगम के छोटे-छोटे कण सांस के साथ स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं। तब मरीज क्षय रोग से ग्रसित हो जाता है। वर्ष 2013 से 2015 के बीच जिले में टीबी रोग की बात की जाए तो एक लाख की आबादी में टीबी रोगियों की संख्या औसतन 220 से 240 तक थी। लेकिन वर्ष 2016 में यह संख्या बढ़कर एक लाख की आबादी में तीन सौ के ऊपर हो गयी है।

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टीबी क्या है यह भी जाने

– टीबी एक घातक संक्रामक रोग है। यह माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबर कुलोसिस नाम के रोगाणु से फैलता है। यह रोगाणु मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। जिसके कारण फेफड़े की टीबी पलमोनरी -ट्यूबरकुलोसिस होती है। कभी-कभी यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है।

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यहां पर होती टीबी की जांच मुफ्त

– टीबी क्लीनिक, जिला चिकित्सालय, मिशन अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तेलियानी, गोलपालगंज, बहुआ, असोथर, हसवा, गाजीपुर, बड़ागांव, सातो धरमपुर, ¨बदकी, खजुहा, देवमई, अमौली, जहानाबाद, भिटौरा, हुसेनगंज, हथगाम, मवई, खागा, विजयीपुर, धाता, खखरेडू, और औंग।

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क्या बोले जिम्मेदार..

– हम लोग टीबी की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं। मुख्य रूप से टीबी की जांच बलगम से होती है। जिसकी सुविधा 25 केन्द्रों में है। इसके अतरिक्त अब जिले में सीबीनाट मशीन से भी जांच की सुविधा हो गयी है। जिसका लाभ दिया जा रहा है। वर्ष 2016 में जिले के अंदर 3213 मरीज मिले थे, जिन्हें डाट्स की दवा नि:शुल्क रूप से खिलाई जा रही है। इस वर्ष भी टीबी रोगियों की पहचान जारी है।

डॉ. संतोष ¨सह, जिला क्षय रोग अधिकारी

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यह है टीबी रोग के लक्षण

– दो सप्ताह या इससे अधिक समय से लगातार खांसी आना।

– खांसी के साथ बलगम का आना।

– शाम के समय अक्सर शरीर का तापमान बढ़ जाना।

– संभावित रोगी के शरीर का वजन लगातार कम होना।

– प्रभावित मरीज के सीने में अक्सर दर्द महसूस होना।

– प्रभावित मरीज का बलगम रक्त रंजित होकर निकलना।

 

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