अहमदाबाद में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो पिछले आठ सालों में बंदरो द्वारा काटे जाने की घटनाओं में 272 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। 2009 में जहां इस तरह के मात्र 61 मामले सामने आए, वहीं 2017 में बंदरों के काटने से 227 लोग घायल हुए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके दो कारण हैं- बंदरों के रहने की जगहें कम होना और उनकी जनसंख्या में तेजी से इजाफा होना। हमला करने वाले बंदरों में ज्यादातर भूरे बंदर शामिल हैं। तेजी से बढ़ते शहर के कारण इनके घर नष्ट हो रहे हैं और ये रिहायशी इलाकों में शरण लेने को मजबूर हैं।
गुजरात ईकोलॉजिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (GEER) फाउंडेशन की गणना के मुताबिक, अहमदाबाद में 2015 में बंदरों की संख्या 672 थी, जोकि 2017 में 916 पहुंच गई। अधिकारियों को कहना है कि बंदरों को कई बार लोग नुकसान पहुंचाते हैं, इसके बाद ही बंदर हिंसक हो जाते हैं और नियमित तौर पर लोगों पर हमले करना शुरू कर देते हैं। वन अधिकारियों ने कहा, ‘बंदरों ने खुद को शहर के हिसाब से ढालना भी शुरू कर दिया है। वे सड़क पार करते समय एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और सड़क खाली होने का इंतजार करते हैं। ऐसे में अगर किसी बंदर की मौत हो जाती है तो बाकी के बंदर आने-जाने वालों पर हमला करते हैं।’