कभी भी टकरा सकता है धरती पर सोलर तूफान:16 लाख किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है स्टॉर्म, इससे हो सकते हैं GPS मोबाइल फोन सिग्नल  कमजोर

विदेश।बता दे  एक शक्तिशाली सोलर तूफान बहुत तेजी से धरती की ओर बढ़ रहा है। इसकी रफ्तार  16 लाख  किलोमीटर प्रति घंटा है। US स्पेस एजेंसी NASA का कहना है कि इसकी रफ्तार बढ़ भी सकती है। तूफान धरती से रविवार या सोमवार को किसी भी समय टकरा सकता है।एक  वेबसाइट के मुताबिक धरती की मैग्नेटिक फील्ड पर तूफान का गहरा असर पड़ सकता है। इससे रात में आसमान लाइटिंग से जगमगा उठेगा। यह नजारा नॉर्थ या साउथ पोल पर दिखेगा।वैज्ञानिकों के मुताबिक इस सोलर तूफान से धरती का बाहरी वातावरण गर्म हो सकता है। इसका सैटेलाइट्स पर सीधा असर पड़ेगा। इसके साथ ही GPS नेविगेशन मोबाइल फोन और सैटेलाइट टीवी का सिग्नल भी कमजोर हो सकता है। साथ ही बिजली लाइनों का करंट बढ़ सकता है जिससे ट्रांसफाॅर्मर भी उड़ सकते हैं। विमानों के उड़ान पर भी इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।हालांकि आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।इससे पहले 1989 में सोलर तूफान आया था। इसके चलते कनाडा के क्यूबेक शहर की बिजली करीब 12 घंटे के लिए चली गई थी। लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। 1859 में जियोमैग्‍नेटिक तूफान आया था। इसने यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क को नष्ट कर दिया था। कुछ ऑपरेटर्स ने बताया था कि उन्‍हें इलेक्ट्रिक का झटका लगा। कुछ लोगों का कहना था कि तूफान के कारण बिना बैट्री के ही इक्विपमेंट्स काम कर रहे थे। रोशनी इतनी तेज थी कि अमेरिका के कुछ हिस्सों में लोग अखबार तक पढ़ सकते थे।बुनियादी तौर पर सूर्य गैसों का एक गोला है। इसमें 92.1% हाइड्रोजन और 7.8% हीलियम गैस है। सूर्य में मैग्नेटिक या चुंबकीय गतिविधियां चलती रहती हैं। इनमें औसतन 11 साल के अंतराल पर गतिविधियां चरम पर होती हैं, जिन्हें सोलर साइकल कहते हैं।सोलर साइकल के दौरान अरबों टन गर्म गैसों के गुबार   धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। इनके साथ ही सूर्य से आए चार्ज्ड पार्टिकल धरती के वायुमंडल में चुंबकीय तूफान मचा देते हैं। इसे सोलर तूफान कहते हैं।

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