कोरोना गाइडलाइन के बीच जिले भर में मनाया गया बकरीद का पर्व – ईदगाह व बंदगी मियां मस्जिद में पाबंदी के साथ अदा हुई नमाज

- महामारी से निजात व मुल्क में अमन-चैन के लिए मांगी दुआएं

फतेहपुर। जिले भर में हजरत इब्राहीम अलै0 की अल्लाह तआला के फरमान पर चलने के लिए अपने बेटे हजरत इस्माइल अलै0 की कुर्बानी देने के एवज में मनाया जाने वाला ईदुल अजहा (बकरीद) का त्योहार पूरे जिले में कोरोना के बीच गाइडलाइन के मुताबिक अकीदत व सरकार द्वारा नाजिल की गई पाबंदियों के बीच मनाया गया। त्योहार को लेकर प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये थे। मस्जिद व मदरसों पर प्रशासन के लोगों ने मुस्तैदी से निगाहें रखीं। उधर ईदगाह व बंदगी मियां मस्जिद में बकरीद की नमाज पाबंदी के साथ अदा कराई। ईदगाह व मुचियाने की मस्जिद के अलावा जिले भर की मस्जिदों में निर्धारित संख्या के अलावा लोगों ने घरों में नमाज अदा करने के बाद महामारी से निजात दिलाने व मुल्क में अमन-चैन के लिए हाथों को उठाकर अल्लाह तआला से दुआएं मांगी, तत्पश्चात कुर्बानी का जो सिलसिला सुबह से शुरू हुआ वह देर शाम तक जारी रहा।
बताते चलें कि कोरोना महामारी को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार ने जारी किये गये दिशा-निर्देश में सिर्फ और सिर्फ ईदगाह सहित मस्जिदों में पचास लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति प्रदान की थी। सरकार के इस हुक्म का मुसलमानों ने पूरी तरह से अनुपालन किया। ईदगाह में शहरकाजी शहीदुल इस्लाम अब्दुल्ला के बेटे अली मुजाहिदुल इस्लाम ने नमाज अदा कराई। इसके अलावा दूसरे शहरकाजी कारी फरीद उद्दीन कादरी ने पनी मोहल्ला स्थित बंदगी मिया मस्जिद में सरकार की पाबंदी का अनुपालन करते हुए नमाज पढ़ाई। ईदगाह व बंदगी मियां मस्जिद में बाद नमाज खुतबे में कोरोना महामारी से निजात दिलाने व मुल्क में अमन-चैन व भाईचारे की सलामती के लिए दुआएं मांगी गई। काजी शहर फरीद उद्दीन कादरी ने कहा कि हम सबको मिलाकर राष्ट्र का वजूद है। इस मुल्क में विभिन्न जाति, धर्म, आस्था के लोग निवास करते हैं। इसके बाद भी यह अखण्ड भारत है। प्यारे हिन्दुस्तान में हर धर्म के लोगों को अपने धर्म शिक्षा तथा अपनी उन्नति के लिए काम करने की आजादी है। हमें चाहिए कि ईदुल अजहा के पावन अवसर पर यह संकल्प लें कि जिस तरह पैगम्बर इब्राहिम, पैगम्बर इस्माईल व मां हाजरा ने शैतान की बात न मानकर राहे हक में अल्लाह की खुशी के लिए जानी माली कुर्बानी पेश की उसी तरह हमें भी चाहिए कि सच को बचाने के लिए असामाजिक शरारती तत्वों के बहकावे में न आयें और जनपद राज्य व देश ही नहीं बल्कि विश्व बंधुत्व व भाईचारे की कोशिश करें। अंत में उन्होने देश की सुरक्षा समृद्धि तथा भाईचारे कायम रखने की दुआ मांगी। इसके अलावा जिले भर की मस्जिदों में भी पाबंदी व निर्धारित संख्या के मुताबिक पेश इमामों ने बकरीद की नमाज पढ़ाई। मुस्लिम इलाकों में बकरीद के त्योहार को लेकर सुबह से ही चहल-पहल शुरू हो गयी थी। कुर्बानी के लिए लाये गये बकरों व बड़े जानवरों में पड़वों को नहला-धुलाकर फूल-माला पहनाने के साथ ही कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो गया था। लाकडाउन के चलते त्योहारों पर बच्चों की खुशियां काफूर दिखीं क्योंकि आवागमन को प्रतिबन्धित कर दिया गया था। ईदगाह सहित पूरे शहर में बच्चे हमेशा अपने मनपसंद खिलौनों की खरीददारी जहां करते थे वहीं गोल-गप्पे का भी लुत्फ उठाते थे लेकिन अब ये सब बीते जमाने की बात हो गयी है। कोरोना महामारी के संक्रमण के मद्देनजर लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलने से भी जहां परहेज किया वहीं त्योहार के मौके पर सुबह से लेकर देर रात तक लोगों के आने-जाने का सिलसिला भी थमा रहा। ईदगाह व मस्जिदों के अलावा सामूहिक कुर्बानी के लिए प्रतिबन्धित किये गये स्लाटर हाउस पर पुलिस के जवान मुस्तैद रहे। प्रशासन ने ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया लेकिन जिले भर में कहीं से भी किसी भी तरह के लाकडाउन का उल्लंघन का मामला प्रकाश में नहीं आया।

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