राजस्थान के जयपुर में कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के नाम पर एक निजी संस्था की ओर से कैंप चलाया गया। इस कैंप में अनुसूचित जाति जनजाति के अनाथ हुए बच्चों के लिए दानदाताओं से 42 लाख रुपए का चंदा इक्कठा किया गया जिसे संस्था के खाते में जमा करा कर ऐसे बच्चों की मदद करनी थी, लेकिन संस्था के सदस्य एमपी निवासी जितेंद्र सिंह ने 24 लाख रुपए और नागौर निवासी सुरेंद्र कुमार ने 18 लाख रुपए इक्कठा कर लिए, लेकिन उन्हें संस्था में जमा नहीं कराया।
पैसे जमा नहीं कराने पर दोनों के खिलाफ संस्था प्रबंधक ने बच्चों के नाम पर लोगों से चंदा लेने एवं उसका सही उपयोग नहीं होने का मामला एसपी को पत्र के माध्यम से अवगत करा कर मानसरोवर थाने में दर्ज कराया। मामले की जांच एसीपी मानसरोवर चिरंजीलाल मीणा को सौंपी गई है। पीड़ित ने शिकायत में थाने पर सीधे ही मुकदमा दर्ज नहीं करने के भी आरोप लगाए है।
मुकदमा पीड़ित आरएल मीणा निवासी जेडीए मार्केट रिद्धी-सिद्धी चौराह निवासी ने दर्ज कराया है। शिकायत में बताया कि उनकी एक दिल्ली में भष्ट्राचार निरोधक एवं अत्याचार विरोधी टाइगर संस्था है। संस्था की ओर से कोरोना काल में एक कैंप चलाया गया।
इस कैंप में दानदाताओं की ओर से कुल 42 लाख रुपए की मदद मिली है जो संस्था के सदस्यों ने अपने पास रख ली जिसे बाद में संस्था के खाते में डलवाना था लेकिन राशि खाते में नहीं डलवाई गई। लोगों का आरोप है कि इन व्यक्ति ने मीटिंग में जानकारी दी थी अनाथ बच्चों के लिए चंदे के रूप में 42 लाख रुपए एकत्र कर लिए गए है लेकिन दोनों ने उक्त राशि जमा नहीं करवाई। इस पर केस दर्ज करवाया गया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।